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बरेली:RGAन्यूज
रम्पुरा कमनपुर गांव में होली का जुलूस निकाल रहे युवकों पर दूसरे समुदाय के लोगों ने छतों से ईंटें बरसा दीं। हमले में जुलूस के साथ चल रहे सीओ एमपी अशोक, दरोगा ऋषिपाल पंवार, महिला कांस्टेबल अंजली, संजू, होमगार्ड सुरेश के अलावा विनोद पाल, बबलू, हरीश बाबू, गयाराम, संदीप, अरविंद, अशोक, जयराम और ओमप्रकाश आदि घायल हो गए।
पुलिस ने दोनों पक्षों की ओर से जानलेवा हमला, बलवा, गालीगलौज करने और एंटी एक्टिविटीज कानून की धारा 7 के अधीन सौ लोगों को नामजद किया है। बीस लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है, जिसमें 11 बहुसंख्यक और 9 अल्पसंख्यक शामिल हैं। शेष नामजद फरार बताये जा रहे हैं। उधर, ग्रामीणों ने पुलिस पर आखत डालने में रुकावट डालने का आरोप पुलिस पर लगाया है। वहीं सांप्रदायिक बवाल की सूचना पर जिलाधिकारी राघवेंद्र विक्रम सिंह, एसएसपी जोगेंद्र कुमार सिंह, एसपीआरए डा. ख्याति गर्ग, एसपी क्राइम रमेश भारती, एसडीएम फरीदपुर राजेश कुमार, सीओ जगमोहन बुटेला, सीओ रामप्रकाश समेत कई थाना प्रभारी, पीएसी व फायर बिग्रेड के साथ गांव पहुंचे। सीओ एमपी अशोक ने स्थिति नियंत्रण में बताई है। शनिवार को भी अधिकांश प्रशासनिक अधिकारी पुलिस बल के साथ गांव में डटे रहे। गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है।
जन्माष्टमी पर पड़ गई थी बवाल की नींव
फतेहगंज पूर्वी। कस्बे से तीन किलोमीटर दूर रम्पुरा कमनपुर ग्राम पंचायत की आबादी करीब साढ़े तीन हजार है। इसमें तीन गांव शामिल हैं। रम्पुरा गांव में अल्पसंख्यकों की संख्या करीब 600 है। यहां सभी समुदायों के लोग आपस में मिलकर रह रहे थे। ग्रामीणों के अनुसार, इस गांव में कुछ सालों से पड़ोस के गांव से एक धर्मगुरु का आनाजाना शुरू हुआ, जिसके बाद लोगों में कट्टरता पनपने लगी। पिछले साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर अल्पसंख्यकों ने दधिकाधौं शोभायात्रा का विरोध किया और जुलूस नहीं निकलने दिया। यहीं से दोनों समुदायों में दरार पड़ गई। दो महीने बाद ईद पर लोगों ने बिना अनुमति होने वाली नमाज का विरोध किया तो पुलिस की मौजूदगी में लोगों ने इसरार के घर की छत पर नमाज पढ़ी। पुलिस ने इसे अपनी उपलब्धि माना, लेकिन इसके बाद दोनों पक्षों में दरार और बढ़ गई।
सुनियोजित तरीके से बरसाईं ईंटें
फतेहगंज पूर्वी। होली पर आखत डालने से पहले लोगों ने पुलिस के संरक्षण में गांव के बीच से ढोल के साथ जुलूस निकाला। जुलूस जैसे ही उस गली में पहुंचा जिसमें हिंदुओं के अलावा चार घर मुस्लिमों के भी थे, तभी इसरार के घर की छत से ईंटों के अद्धों की बारिश जुलूस पर शुरू हो गई। इससे पुलिस के साथ जुलूस में शामिल कई लोग घायल हो गए। ग्रामीणों का कहना है कि जुलूस पर हमले की तैयारी पहले से ही कर रखी गई थी, यदि ऐसा नहीं होता तो इतनी जल्दी इतनी संख्या में ईंटों के अद्धे एकत्र नहीं किए जा सकते थे और न ही अचानक हमला होता।
दरोगा ने फोड़ा ढोल, जुलूस में शामिल लोगों को पीटा
फतेहगंज पूर्वी। रम्पुरा कमनपुर के संदीप की पत्नी सीमा और शिशुपाल की पत्नी मधु के अनुसार, बवाल के लिए गांव में तैनात एक दरोगा की लापरवाही भी जिम्मेदार है। उनका आरोप है कि इसरार के घर की छत से हुई ईंटों की बारिश के लिए पुलिस इसरार को नहीं, बल्कि जुलूस निकालने वालों को ही कसूरवार ठहराने लगी। दरोगा ने ढोल बजाने युवकों का ढोल फोड़ दिया। इससे भी उसका मन नहीं भरा तो उसने ग्रामीणों को लाठियों से पीटकर घायल कर दिया। ग्रामीणों का दावा है कि पुलिस ने इलाज कराने के बहाने घायलों को ही हिरासत में ले लिया। महिलाओं का कहना है कि उन्हाेंने इसकी जानकारी वहां पहुंचे एसएसपी को भी दी, लेकिन उनकी बात को प्रशासन ने अनसुना कर दिया।
इसरार के घर की ओर न जाने पर बनी थी सहमति
फतेहगंज पूर्वी। एसपी क्राइम रमेश भारती ने बताया कि दो दिन पहले थाने में दोनों पक्षों में वार्ता हुई थी, जिसमें होली का जुलूस इसरार के घर की तरफ से न निकाले जाने पर सहमति बनी थी। इसके बाद भी जुलूस में शामिल कुछ लोग उधर गए। उधर ग्रामीणों का कहना है कि यदि कुछ युवक नशे में उधर चले गये तो इसरार को पुलिस प्रशासन की मदद लेनी चाहिये थी, लेकिन उसने सुनियोजित ढंग से साथियों के साथ इकट्ठा होकर जुलूस पर ईंटें चलाईं। पुलिस वास्तविक दोषियों पर कार्रवाई करने में विफल रही है।