RGA न्यूज: गरीब छात्राओं का खाना भी हजम कर रहे अफसर 

Praveen Upadhayay's picture

बरेली: RGA न्यूज 
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में बिस्तर घोटाला, छात्राओं के शैंपू, हैंडवॉश से लेकर च्यवनप्राश तक में घोटाला सामने आया है। गरीब छात्राओं के भोजन को भी सरकारी अफसर सालों से हड़प रहे हैं। टेंडर निकालने में देरी से शुरू होकर यह खेल टेंडर होने के बाद ठेकेदार से साठगांठ से पूरे सेशन में चलता है। सरकारी बजट के हिसाब से हर स्कूल को महीने में 80 हजार रुपये का सूखा राशन भेजा जाना होता है। ठेकेदार को इस हिसाब से ही पेमेंट हो रहा है लेकिन छात्राओं को इस बजट के राशन का तिहाई हिस्सा ही महीने भर में खाने को मिल रहा है। बाकी हिस्सा बीएसए, ठेकेदार, कस्तूरबा विद्यालय की समन्वयक, वित्त एवं सहायता लेखाअधिकारी से लेकर स्कूलों के अकाउंटेंट और वार्डन हजम कर रहे हैं। 

सत्र शुरू होने के दो महीने बाद हुआ टेंडर 
एक अप्रैल 2017 को शैक्षिक सत्र शुरू होने के बाद भी दो माह तक टेंडर नहीं हुआ। अप्रैल और मई में अफसरों और सभी इकाइयों ने खूब कमाई की। समन्वयक शिल्पी श्रीवास्तव की ओर से निर्देश दिए गए कि टेंडर न हो पाने के कारण सभी स्कूल अपने स्तर पर राशन खरीदें, जिसके बिल विभाग अदा करेगा। 50 हजार रुपये बजट में महीने भर का राशन, नाश्ता खरीदने को कहा गया। अकाउंटेंट और वार्डनों ने मिलकर 35 से 40 हजार की ही खरीदारी की और बाकी रकम अपनी जेब में डाल ली। दूसरी ओर 80 हजार के बजट में 50 हजार का बिल अदा करने के बाद बचे 30-30 हजार रुपये अफसर हजम कर गए। जुलाई से पीलीभीत की ओजला इंटरप्राइजेज का टेंडर शुरू हुआ।  
 
मार्च में टेंडर खत्म होने के बाद फिर शुरू होगा खेल
मार्च में टेंडर खत्म हो जाएगा और अभी टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। अंदेशा है कि पहले की तरह ही अफसर इस बार भी सीधी खरीद कराकर कमाई करेंगे। 

80 हजार का पेमेंट, 55 हजार के राशन की सप्लाई 
ठेकेदार को विभाग 80 हजार प्रति माह के हिसाब से प्रति स्कूल राशन का पेमेंट कर रहा है। स्कूलों को स्पष्ट निर्देश है कि महीना 55 हजार रुपये में चलाए। स्कूलों से जुड़े सूत्रों के हिसाब से हर स्कूल को निर्धारित पांच क्विंटल आटा और पांच क्विंटल चावल की जगह सिर्फ तीन से साढ़े तीन क्विंटल आटा-चावल ही पहुंच रहा है। हर महीने छह प्रकार की दाल अरहर, मसूर, उड़द, मूंग, चना, मिक्स दाल की 29-29 किलो मात्रा निर्धारित है पर सिर्फ 12 से 15 किलो ही दिया जा रहा है। ऐसे में 18 स्कूलों की सौ-सौ छात्राओं को कितना पौष्टिक भोजन मिलता होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

यह हैं मानक 

नए मेन्यू के हिसाब से प्रति छात्रा प्रति माह 1500 रुपये का बजट जारी किया गया है। जिसमें सूखे राशन के अलावा दूध, सब्जी, मेवा, बेकरी आइटम, नॉन वेजेटेरियन आइटम और जूस शामिल है। पर स्कूलों में छात्राओं को सादा भोजन ही खिलाया जा रहा है। विभाग की ओर से 55 हजार रुपये में महीने निपटाने के आदेश का पालन बड़े तरीके से होता है। छात्राओं को नाश्ते में फल दिया जाना अनिवार्य है पर किसी स्कूल में फल नहीं बंटते। शाकाहार के नाम पर मेन्यू में सम्मिलित होने के बावजूद नॉनवेज आइटम नहीं खिलाए जाते। 
 शाम को ही खिला दिया जाता है रात का खाना
स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी से लेकर वार्डन और छात्राओं की बायोमेट्री कराकर सभी की उपस्थिति सुनिश्चित करने के प्रबंध सरकार ने भले करा लिए हो पर स्कूलों में वार्डन से लेकर रसोइया तक रात में नहीं रुकते। कई स्कूलों में तो हालात इतने खराब हैं कि रसोइया शाम छह बजे तक ही छात्राओं को रात का भोजन कराने के बाद अपने घरों को चले जाते हैं। 

हमने प्रभारी बीएसए से फोन पर बात करना चाहा पर फोन नहीं उठा।

News Category: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.