
RGA न्यूज़ देहरादून उत्तराखंड
दून की दो अल्पसंख्यक बेटियां जिन्होंने पिता के प्यार और सपोर्ट के बगैर ही विषम परिस्थितियों में भी कभी हार नहीं मानी और अब अपनी मां का सपना पूरा किया।...
देहरादून:- संघर्षों निकलकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वालों को हर कोई सलाम करता है। वो भी अगर मुश्किल हालातों के बीच बेटियां खुद को साबित कर दें तो उन्हें किसी मिसाल से कमतर नहीं कहा जा सकता। अपनी प्रतिभा के दम पर ऐसी ही प्रेरणा प्रदान कर रही हैं। दून की दो अल्पसंख्यक बेटियां, जिन्होंने पिता के प्यार और सपोर्ट के बगैर ही विषम परिस्थितियों में भी कभी हार नहीं मानी और अब अपनी मां का सपना पूरा करने के साथ ही गरीबों और अल्पसंख्यकों की सेवा करने की तैयारी कर रही हैं।
गरीबों को मुफ्त उपचार देना चाहती हैं रोजी नाज
हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी राजकीय मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहीं दून की रोजी नाज डॉक्टर बन गरीबों और बेसहारा लोगों को मुफ्त इलाज देना चाहती हैं। विश्व अल्पसंख्यक दिवस पर रोजी को सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि महिलाओं का शिक्षित होना बेहद जरूरी है और खासकर स्वास्थ्य के प्रति महिलाओं को गंभीर होने की आवश्यकता है। रोजी छह माह की थीं जब उनके पिता ने उनकी मां को तलाक दे दिया।
तब से वे चंदर नगर स्थित अपने नाना के घर में ही रहती हैं। रोजी की एक बड़ी बहन है और एक भाई। परिवार के भरण-पोषण के लिए रोजी की मां एक निजी संस्थान में लाइब्रेरियन का कार्य करती हैं। रोजी को डॉक्टर बनाने के लिए उनकी मां ने अल्पसंख्यक आयोग की मौलाना आजाद एजुकेशन फाइनेंस फाउंडेशन योजना से लोन लिया और अब अपने स्तर से ही फीस अदा कर रहीं हैं।