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काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में सोमवार को 101वां दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ। दीक्षांत में 29 होनहारों को गोल्ड मेडल, दो को डीलिट, 732 को पीएचडी, 12 को एमफिल, 4511 को स्नातकोत्तर और 6272 स्नातकों को उपाधियां दी गयीं। दीक्षांत समारोह के हीरो संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में स्नातकोत्तर के छात्र शिवार्चित मिश्रा व स्नातक के अमन त्रिवेदी रहे।
दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय लोक वित्त और नीति संस्थान नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. केलकर ने कहा कि लोकतंत्र में शासक व कानून व्यवस्था के बीच समन्वय जरूरी है। केवल अफसरशाही पर ही कानून निर्माण की जिम्मेदारी नहीं छोड़नी चाहिए। देश को विकास के पथ पर ले जाने में सबसे अहम भूमिका शिक्षा व साक्षरता की है। युवाओं को आजादी के मूल्यों और सिद्धांतों को याद रखना होगा। तभी वे देश के विकास में सच्ची भागदारी कर सकेंगे। शिक्षा के बदलते परिदृश्य के हिसाब से भविष्य की योजनाओं को तैयार करना होगा।
डॉ. केलकर ने कहा कि देश को आजाद कराने वाले उन संस्थापकों के मूल्यों को भी आत्मसात करना होगा, जिनकी बदौलत आज देश आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। विकास के मानक तय करते समय बहुभाषी व बहुसंस्कृति को ध्यान में रखना जरूरी है, ताकि विभिन्नता में एकता की भावना बनी रहे। उन्होंने कहा कि काशी की पुण्य भूमि से मानवता का संदेश दुनिया भर में गया। कबीर व शंकराचार्य के मानवता संदेश को याद करते हुए बताया कि ज्ञान व त्याग के इस नगरी में पढ़ने का अवसर सौभाग्य से मिलता है।
डॉ. केलकर ने पंडित नेहरू के 1947 के भाषण का जिक्र किया, तो महात्मा गांधी के विचारों की प्रासंगिकता को भी दोहराया। बताया कि 1914 से 1950 के दौर में दुनिया भर में हिंसा व विभाजन हुआ, सूखा और अकाल से गुजरते हुए हम आगे बढ़े अब हम विकास के तीसरे दौर में हैं जिसमें विज्ञान और आर्थिक नीति महत्वपूर्ण है। बीएचयू के कुलाधिपित न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय ने होनहारों को योग्यता का प्रमाण पत्र दिया व गोल्ड मेडल पहनाया। कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन पढ़ा कहा कि बीएचयू ने शिक्षण और अनुसंधान में प्रमुख स्थान बनाए रखा है। हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस का भी दर्जा मिला। इसके तहत आगामी पांच वर्ष में एक हजार करोड़ रुपये मिलेंगे। जिससे शिक्षण और अनुसंधान को मजबूत किया जाएगा। गोल्ड मेडलिस्टों के नाम की घोषणा रजिस्ट्रार डॉ. नीरज त्रिपाठी ने की। संचालन प्रो. पद्मिनी रविनद्रनाथन ने तथा धन्यवाद बीएचयू के रेक्टर प्रो. वीके शुक्ला ने दिया।
दीक्षांत पर कैंपस में हर ओर मेले जैसा माहौल दिखा। दीक्षांत के लिए स्वतंत्रता भवन को फूलों व रंगोली से सजाया गया था। सफेद पाजामा कुर्ता पर साफा व पगड़ी धारण किए युवा तथा क्रीम कलर की साड़ी में छात्राएं बहुत ही उत्साहित थीं। कारण आज सालों की मेहनत का फल गोल्ड मेडल के रूप में मिला। स्वतंत्रता भवन सभागार में मुख्य समारोह संपन्न होने के बाद संकाय व संस्थान स्तर पर विद्यार्थियों को उपाधियां व मेडल बांटे गए।