
RGA न्यूज़ मेरठ
बोफोर्स के बाद पहली बार भारतीय सेना अपनी आर्टिलरी रेजिमेंट को अति आधुनिक स्वदेशी तकनीकी से सुसज्जित के-9 वज्र धनुष और एम777 होवित्जर गनों से सुसज्जित कर रही है।...
मेरठ:- युद्ध के मैदान में आर्टिलरी को 'गॉड ऑफ वॉर' कहा जाता है। जिस सेना की आर्टिलरी मजबूत होती है, रणभूमि में उसी की जीत का डंका भी बजता है। इस महत्व को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना की आर्टिलरी का भी अब आधुनिकीकरण किया जा रहा है। बोफोर्स के बाद पहली बार भारतीय सेना अपनी आर्टिलरी रेजिमेंट को अति आधुनिक स्वदेशी तकनीकी से सुसज्जित के-9 वज्र, धनुष और एम777 होवित्जर गनों से सुसज्जित कर रही है। 2019 में शुरू हुई आर्टिलरी के आधुनिकीकरण की यह प्रक्रिया साल 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
13 सेकेंड में तीन फायर करेगा 'देशी बोफोर्स' धनुष
जबलपुर के गन फैक्ट्री में बनी धनुष 155 एमएम 45 कैलीबर की आधुनिक आर्टिलरी गन है। इसे देशी बोफोर्स भी कहा जाता है। इसमें 81 फीसद उपकरण देशी हैं जिसे और बढ़ाने की योजना है। इसकी मारक क्षमता 38 किमी है। यह 13 सेकेंड में तीन गोले दाग सकती है। अन्य आर्टिलरी गनों की तुलना में यह हल्की है और इस पर गर्मी व सर्दी का असर नहीं होता। पूरी तरह से ऑटोमेटिक इस तोप को पहाड़ी क्षेत्र व रेगिस्तानी क्षेत्र दोनों जगहों पर आसानी से ले जा सकते हैं और इस्तेमाल भी कर सकते हैं। देश की सीमा से ही दुश्मन के इलाके में टारगेट को निशाना बनाने में सक्षम हैं। आर्टिलरी को 114 धनुष तोपें मिलेंगी जिसमें छह मिल चुकी हैं।