चिंता-अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों को बढ़ा सकता है पोषक तत्वों से रहित भोजन

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RGA न्यूज़ लंदन

सब्जियों और जैतून के तेलों वाली मेडिटरेनियन डाइट मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है क्योंकि यह अवसाद और चिंता जैसी बीमारियों से बचाव करता है।...

लंदन:- 'हम जैसा खाते हैं, वैसा सोचते हैं।' इस कहावत को अब वैज्ञानिकों ने भी साबित कर दिया है। हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पोषक तत्वों से रहित भोजन चिंता और अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों को बढ़ा सकता है। अध्ययन में कहा गया है कि कुछ भोजन हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। स्वीडन की गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, हमारे मस्तिष्क के कुछ ऐसे हिस्से हैं, जिससे भोजन और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध स्थापित होते हैं।

उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया, पहले के शोधों से यह अच्छी तरह पता चल चुका है कि मिर्गी के मरीजों के लिए अधिक वसा और कम कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन लाभदायक होता है, थकान कम करने, खराब याददाश्त और अवसाद में विटामिन 12 प्रभावी होता है।

यूरोपियन न्यूरोसाइकोफार्माकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हालिया अध्ययन में यह भी कहा गया है कि सब्जियों और जैतून के तेलों वाली मेडिटरेनियन डाइट मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है, क्योंकि यह अवसाद और चिंता जैसी बीमारियों से बचाव करता है। हालांकि, विटामिन डी युक्त कई भोजन के बारे में यही दावा पूरी तरह से नहीं किया जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ऑटिज्म से संबंधित भोजन के बारे में भी यह दावा नहीं किया जा सकता है कि इससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।

कई बीमारियों में बेहद असरदार

गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और अध्ययन के सह-लेखक सुजैन डिकसन ने बताया, 'किन्हीं विशेष परिस्थतियों में हमें अक्सर मिलाजुला नतीजा मिलता है।' उन्होंने बताया, 'उदाहरण के तौर पर, हम पाते हैं कि एडीएचडी (अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर) में खाने में शुगर की मात्रा बढ़ने से एडीएचडी और अतिसक्रियता भी बढ़ जाती है। वहीं, अधिक ताजा फल और सब्जियां खाने से इन स्थितियों में सुधार आता है। लेकिन अपेक्षाकृत ऐसे कम अध्ययन हुए हैं और इनमें भी अधिकांश दूरगामी प्रभावों के बारे में नहीं बताते हैं।' कुछ खास तरह के भोजन विशिष्ट मानसिक स्वास्थ्य परिस्थितियों से जुड़े होते हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बारे में बहुत कम ज्ञात है कि आखिर कुछ भोजन में इस तरह का प्रभाव होता है।

जन्म के शुरुआती वर्षो का भोजन भी डालता है असर

डिकसन ने बताया, 'यह आम मान्यता है कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भोजन की सलाह पूरी तरह से वैज्ञानिक आधार पर निर्भर होते हैं। असल में यह साबित करना बेहद मुश्किल है कि विशिष्ट भोजन या परहेज मानसिक स्वास्थ्य में योगदान देते हैं।' उन्होंने बताया कि गर्भ या जन्म के शुरुआती वर्षो में प्रयोग किया जाने वाले आहार का बाद के वर्षो में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर व्यापक असर पड़ता है। हालांकि, उन्होंने बताया कि आम लोगों में भोजन का उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को साबित करना चुनौतीपूर्ण है। डिकसन ने बताया कि वयस्कों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका कम ही असर देखने को मिलता है।

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