अधिक महंगी नहीं होगी इलेक्ट्रिक कार, जानिए आखिर कितनी होगी इनकी कीमत

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RGA न्यूज़ कानपुर

आइआइटी के पूर्व छात्र सम्मेलन में पद्मश्री प्रो. अशोक झुनझुनवाला ने दी जानकारी मेक इन इंडिया के तहत विकसित की गई तकनीक।...

कानपुर:- इलेक्ट्रिक कारों के बारे में सुना तो सभी ने है लेकिन ऐसे वाहन काफी महंगे होंगे यह सोचकर मन मसोस कर रह जाते हैं, लेकिन ऐसा होगा नहीं। दो साल के अंदर सामान्य कार की कीमत पर आप इलेक्ट्रिक कार की सवारी कर सकेंगे। मेक इन इंडिया के तहत आइआइटी मद्रास ने मोटर, बैटरी व चार्जर बना लिया है। इन उपकरणों की तकनीक विकसित कर उसे वाहन निर्माता कंपनियों को सौंप दी गई है। यह जानकारी आइआइटी कानपुर के पूर्व छात्र प्रो. अशोक झुनझुनवाला ने दी।

स्वदेशी मोटर, बैटरी व चार्जर बना

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के पूर्व छात्र सम्मेलन में शिरकत करने आए 1975 बैच के इलेक्ट्रिकल इंजीनियङ्क्षरग के छात्र रहे प्रो. झुनझुनवाला ने बताया कि इलेक्ट्रिक कार के लिए उन्होंने स्वदेशी मोटर, बैटरी व चार्जर बना लिए हैं जिससे कार बनाने की लागत कम आएगी। चार से छह लाख में इलेक्ट्रिक कारें खरीद सकेंगे। ये तकनीक उन्होंने आइआइटी मद्रास के स्टार्टअप में विकसित की है। इंक्यूबेशन व रिसर्च पार्क के प्रमुख के रूप में उन्होंने वहां 200 कंपनियां स्थापित कराई हैं। यह कंपनियां सात हजार करोड़ रुपये की हैं।

मोबाइल से रुपये के लेनदेन की तकनीक पहुंचा चुके

प्रो. झुनझुनवाला ने बताया कि इससे पहले उन्होंने मोबाइल पेमेंट फोरम ऑफ इंडिया के चेयरमैन के पद पर रहकर लोगों तक मोबाइल से रुपये के लेनदेन की तकनीक पहुंचा चुके हैं। इसके अलावा 'कार्डलेस वायरलेस लोकल लूप' भी कुछ प्रोफेसर व कंपनियों के साथ मिलकर विकसित किया था जिससे फोन पर बात करना और आसान हो गया था।

बेकार की बातों में वक्त जाया न करें संस्थान

प्रो. झुनझुनवाला ने बताया कि आइआइटी बेकार की बातों में वक्त जाया न करें। उनका काम टेक्नोक्रेट व बेहतरीन तकनीक देना है, इसी पर फोकस रहना चाहिए। जो कुछ भी सुनने में आ रहा है उससे दुख पहुंचता है।

दुबई में स्थापित की पहली सॉफ्टवेयर कंपनी

आइआइटी कानपुर में सिविल इंजीनियङ्क्षरग के छात्र रहे हरी पद्मनाभन ने दुबई में पहली सॉफ्टवेयर कंपनी स्थापित की थी। 1986 में स्थापित की गई इनसिस्ट टेक्नोलॉजी कंपनी इंटर प्राइज रिसोर्स प्लानिंग सॉफ्टवेयर व इंश्योरेंस बिजनेस सॉफ्टवेयर विकसित करती है। उन्होंने बताया कि जरूरतमंद छात्रों को नौकरी दिलाने के लिए उन्होंने 'पैनआइआइटी एलुमनी रीच फॉर इंडिया' बनाया है। झारखंड में काम करने वाला यह समूह अब उत्तर प्रदेश के छात्रों के लिए काम करेगा। 

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