Basant Panchami Puja Muhurat 2020: वसंत पंचमी को होगी मां सरस्वती की पूजा, जानें दिन, मुहूर्त और महत्वपूर्ण

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Basant Panchami Puja Muhurat 2020 आइए जानते हैं कि वसंत पंचमी के दिन किस मुहूर्त में मां सरस्वती की पूजा करना फलदायक होता है। ...

Basant Panchami Puja Muhurat 2020: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष वसंत पंचमी 30 जनवरी 2020 दिन गुरुवार को है। वसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मानाया जाता है। वसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है। मां सरस्वती प्रसन्न होकर अपने भक्तों को ज्ञान, कला, संगीत और विज्ञान में पारंगत होने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। आइए जानते हैं कि वसंत पंचमी के दिन किस मुहूर्त में मां सरस्वती की पूजा करना फलदायक होता है।

सरस्वती का पूजा मुहूर्त 

माघ शुक्ल पंचमी तिथि यानी वसंत पंचमी का प्रारंभ 29 जनवरी दिन बुधवार को सुबह 10 बजकर 45 मिनट से हो रहा है, जो 30 जनवरी दिन गुरुवार को दोपहर 01 बजकर 19 मिनट समाप्त हो रहा है।

वसंत पंचमी के दिन उदया तिथि में ही मां सरस्वती की पूजा फलदायी और श्रेष्ठ मानी जाती है। 29 जनवरी बुधवार के दिन उदया तिथि नहीं प्राप्त हो रही है। वसंत पंचमी के लिए उदया तिथि 30 जनवरी 2020 गुरुवार को प्राप्त हो रही है। ऐसे में इस वर्ष वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा 30 जनवरी को होगी। आप 30 जनवरी को प्रात:काल में मां सरस्वती की पूजा कर सकते हैं।

हालांकि पंचमी तिथि का प्रारंभ 29 जनवरी को सुबह 10:45 बजे से ही हो रही है, तो कई स्थानों पर 29 जनवरी को भी वसंत पंचमी मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का समय 01 घण्टा 49 मिनट का है। इस दिन आप 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक मां सरस्वती की पूजा कर सकते हैं।

वसंत पंचमी को हुआ मां सरस्वती का जन्म

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती का जन्म ब्रह्माजी के मुख से हुआ था। वह वाणी की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनकर मां सरस्वती की पूजा करते हैं

वसंत पंचमी को करते हैं भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा

वसंत पंचमी को श्री पंचमी या ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां सरस्वती के अलावा भगवान विष्णु और कामदेव की भी पूजा की जाती है। धार्मि​क मान्यताओं के अनुसार, वसंत पंचमी के दिन ही कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ पृथ्वी लोक में आते हैं और चारों ओर प्रेम का संचार करते हैं।

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