बरेली के झुमके पर शुरु हुई सियासी तकरार

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RGA न्यूज़ बरेली ब्यूरो चीफ राजबहादुर शर्मा

 बरेली :- झुमके पर शुरू हुई बहस संतोष से असंतोष तक पहुंच चुकी है। परसाखेड़ा जीरो प्वाइंट पर झुमके की प्रतिकृति का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने कहा था कि लोकसभा में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद अक्सर मजाक में पूछते थे कि बरेली में झुमका कहां गिरा था? अब हम उन्हें बता देंगे कि झुमका कहां है। मंत्री इससे भले खुश हों मगर फरीदपुर के भाजपा विधायक ने झुमके की पहचान को सांस्कृतिक रूप से दिवालिया बता दिया।

आठ फरवरी को परसाखेड़ा जीरो प्वाइंट पर लगाई गई झुमके की प्रतिकृति का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने किया था। महापौर डॉ. उमेश गौतम गुट के तीन बोर्ड सदस्य कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे। कहा गया था कि निमंत्रण पत्र पर बतौर अतिथि महापौर का नाम नहीं था, इस बात की नाराजगी थी। उन्होंने झुमके की प्रतिकृति को एक यूनिवर्सिटी और मेडिकल कॉलेज का सिर्फ विज्ञापन बता दिया था।

उद्घाटन के बाद वह गुट शांत हुआ तो एमजेपी रुहेलखंड विवि में इतिहास विभाग के प्रोफेसर व फरीदपुर से भाजपा विधायक डॉ. श्याम बिहारी ने इस पर सवाल खड़ा कर दिया। सोमवार रात करीब साढ़े दस बजे उनसे फोन पर बात हुई तो कहा कि यह जिला ऐतिहासिक महत्व का है। झुमके से इसकी पहचान नहीं हो सकती। यहां के ऐतिहासिक स्थलों से ही पहचान दर्शाई जा सकती है।

इसके अलावा फेसबुक पर उन्होंने पोस्ट की। जिसमें झुमके की पहचान को सांस्कृतिक रूप से दिवालिया ही बता दिया। लिखा कि काश हमने बरेली के अहिच्छत्र से प्राप्त गंगा यमुना अथवा कुबेर की मूर्तियों को बनवाया होता। हमने देश के धौलावीरा, हस्तिनापुर, कौशाम्बी, श्रवस्ती जैसे ही बरेली को विकसित कराने की बात की होती, जहां देश का प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल भी है, तो बरेली का नाम दुनिया में जाना जाता।

वेबसाइट पर झुमके का जिक्र तक नहीं : एक गुट में यह चर्चा भी है कि बरेली विकास प्राधिकरण बरेली का झुमका लगाने का ढिंढोरा पूरे देश में पीट रहा है। लेकिन अपनी ही आधिकारिक वेबसाइट पर इसका जिक्र तक नहीं किया है। कायदे से वेबसाइट पर इसका प्रचार होना चाहिए था।

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