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RGA न्यूज़ लखनऊ ब्यूरो चीफ सुनील यादव
लखनऊ:- कोरोना ने दुनिया में हाहाकार मचा रखा है। कई देशों में लॉकडाउन चल रहा है। दुनिया घरों में दुबकी है। इस सबके बीच भारतीयों का शरीर कोरोना वायरस से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है। यह बात हम नहीं कह रहे, बल्कि राहत पहुंचाने वाला यह तथ्य वैज्ञानिकों के ताजा शोध में उजागर हुआ है।
शोधकर्ताओं का दावा है कि भारतीयों में एक विशिष्ट और विरला माइक्रो आरएनए मौजूद है। यह वंशानुगत आरएनए (राइबो न्यूक्लिक एसिड) अन्य देशों के लोगों में नहीं पाया जाता है। इसमें कोरोना वायरस की तीव्रता को मंद करने की ताकत है। दिलचस्प बात यह कि मौजूदा कोरोना वायरस भी आरएनए वायरस है।
इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियिरंग एंड बायो टेक्नोलॉजी दिल्ली की टीम की ओर से कोरोना सार्स-टू पर यह शोध किया गया। इसमें डॉ. दिनेश गुप्ता के नेतृत्व में चार एक्सपर्ट ने पांच देशों के कोरोना मरीजों पर स्टडी की। 21 मार्च को ऑनलाइन जनरल में प्रकाशित रिसर्च पेपर संकट की इस घड़ी में भारतीयों के लिए उम्मीद जगा रहा है। केजीएमयू लखनऊ की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक, टीम ने भारत, इटली, यूएसए, नेपाल व चीन के वुहान शहर के मरीजों पर केस स्टडी की। इसमें वुहान के दो मरीज की हिस्ट्री ली गई। सबकी जीन सीक्वेंसिंग की गई। इंटीग्रेटेड सीक्वेंसिंग बेस्ड जीनोम की पड़ताल में भारतीयों में एक माइक्रो आरएनएए (एचएसए-एमआइआर-27-बी) मिला। यह माइक्रो आरएनए अन्य देशों के मरीजों में नहीं मिला।
भारतीयों में कोरोना के सार्स-टू में एक म्यूटेशन भी देखा गया। इसमें वायरस की सतह पर एक विशेष प्रोटीन मिला। शोध में अनुमान लगाया गया कि भारतीयों में मौजूद विशेष माइक्रो आरएन सार्स-टू को म्यूटेट कर देता है। इससे वायरस की क्षमता अन्य देशों की अपेक्षा यहां कम हो रही है।