धर्मगुरुओं ने की अपील, रमजान में इफ्तार के समय करें Coronavirus के अन्त की दुआ

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RGA न्यूज़ लखनऊ उत्तर प्रदेश

लखनऊ:- लॉकडाउन अवधि में ही मुसलमानों का पवित्र महीना आने वाला है। 24 अप्रैल को रमजानुल मुबारक का चांद देखा जाएगा। अगर चांद दिखा तो 25 अप्रैल को पहला रोजा होगा अन्यथा 26 अप्रैल को होगा। लॉकडाउन और शारीरिक दूरी का पालन करते हुए रमजान में इफ्तार के समय इस वबा (कोरोना वायरस) के अन्त के लिए दुआ जरूर करें। यह बात माह-ए-रमजान आने से पहले इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया फरंगी महल के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली इमाम ईदगाह लखनऊ ने कही।

मौलाना फरंगी महली ने कहा कि यह नेकियों और इबादतों का महीना ऐसे समय में आ रहा है कि जब कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपने पंजे में जकड़ रखा है। इन हालात में मुसलमानों की जिम्मेदारी और ज्यादा हो जाती है। माह-ए-रमजान की इबादतों को अंजाम देने में इस्लामी शरीअत के आदेशों व हिदायतों पर पूरी तरह अमल करें। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की जारी हिदायत को भी सख्ती से अमल करना है। उन्होंने जिला प्रशासन को ध्यान दिलाते हुए कहा कि इस में पूरे शहर विशेषकर मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में सफाई पर विशेष ध्यान रखा जाए। सहरी और इफ्तार के समय में बिजली और पानी की सप्लाई को सुनिश्चित करते हुए पुराने लखनऊ में अमन व अमान बनाए रखने के लिए विशेष निगाह रखी जाए। जरूरी चीजों विशेषकर खजूर की उपलब्धता आसान की जाए। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के प्रेस सचिव कारी शहाबउल्लाह सिद्दीकी ने कहा कि सदस्यों ने उम्मीद जाहिर की है कि मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली की इन हिदायतों पर पूरी तरह अमल किया जायेगा

इन बातों पर करें अमल

रमजान के रोजे फर्ज हैं मुसलमान रोजे जरूर रखें। तरावीह जो रमजान में सुन्नत मुअक्किदा है उसका एहतिमाम जरूर करें। जो लोग मस्जिद में रह रहे हैं वहीं मस्जिद में तरावीह पढ़ें।  मस्जिद में एक समय में पांच से अधिक लोग एकत्रित न हो। लोग अपने घरों ही में तरावीह जमाअत के साथ अदा करें। जिन घरों में हाफिज हों तो वह पूरा कुरान मजीद पढ़े वरना जिसको जितना भी याद हो वह 20 रकआत में पढ़े। घर पर नमाज अदा करने के लिए पड़ोसियों को शामिल न किया जाए।  सहरी के समय जगाने के लिए शोर न किया जाए। इफ्तार अपने घर ही पर किया जाए।  इफ्तार का एहतिमाम मस्जिद में सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए करें जो मस्जिद में ही रह रहे हैं।  जो लोग हर साल मस्जिद में गरीबों के लिए इफ्तार का आयोजन करते थे वह लोग इस साल भी करें लेकिन इसको जरूरतमंदों में बांट दें।  रोजेदार इस बात को ध्यान रखें कि इस मुबारक महीने में कोई भी इंसान भूखा न रहे। 

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