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RGA न्यूज पीलीभीत
शहर से लेकर गांवों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने को सरकार हर साल ही अरबों रुपये फूंक रही है, लेकिन निचले स्तर पर इस धनराशि की दुर्गति कैसे की जाती है, इसकी बानगी कस्बा परेवावैश्य में देखी जा सकती है। यहां करीब चार साल पहले 1.17 करोड़ की लागत से ओवरहेड टैंक का निर्माण कराया गया, लेकिन पेयजल सप्लाई शुरू होने से पहले ही टैंक टपकने लगा था। शिकायत के बाद जांच शुरू हुई, लेकिन तबसे न जांच पूरी हो सकी और न ही कस्बावासियों को शुद्ध पेयजल की नसीब हो सका।
चार साल पहले कराया गया था निर्माण
अमरिया ब्लाक के इस कस्बे में वर्ष 2012-13 में ओवरहेड टैंक के निर्माण को 1.17 करोड़ रुपये की धनराशि अवमुक्त की गई थी। वर्ष 2014 में टैंक का निर्माण पूरा कर लिया गया। इसमें टैंक के अलावा पंप हाउस व बाउंड्रीवॉल निर्माण के साथ पूरे कस्बे में पाइप लाइन बिछाई गई थी।
शुरूआती दौर में पाई गई थीं खामियां
ओवरहेड टैंक का निर्माण पूरा होने के बाद टैंक को पानी से भरा गया। बताते हैं कि शुरूआती दौर में पानी भंडारण के दौरान टैंक में जहां तहां से पानी टपकने लगा। दस दौरान बिछाई गई पाइपलाइन को भी लिंक नहीं किया गया। ऐसे में पाइपलाइन में छोड़ा गए पानी से कस्बे के गली कूचों में जलभराव हो गया।
जांच में ठेकेदार की पाई गई लापरवाही
उस दौरान ग्रामीणों ने ओवरहेड टैंक निर्माण में लापरवाही की शिकायत तत्कालीन डीएम से की। डीएम के निर्देश पर जल निगम के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर मामले की जांच की थी। जांच टीम ने टैंक निर्माण में ठेकेदार द्वारा लापरवाही मानते हुए पिलर क्रेक होना पाया था। इसके बाद मामले की शिकायत पूर्व कैबिनेट मंत्री रियाज अहमद से भी की गई, लेकिन तबसे लेकर आज तक न तो संबंधित ठेकेदार पर कोई कार्रवाई हुई और न ही टैंक को दुरुस्त किया गया।
क्या कहते हैं कस्बावासी:
सरकार के पैसे का दुरुपयोग देखना है तो परेवा वैश्य में देखा जा सकता है। टैंक बनाने में करोड़ों खर्च कर दिए, लेकिन आज तक दो बूंद पानी नसीब नहीं हो सका।
दिनेश कुमार
ओवरहेड टैंक निर्माण को लेकर जांच भी हुई। जांच में गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद कार्रवाई नहीं की गई। अफसर तो सालों से जांच का बहाना बनाते आ रहे हैं।
निजाकत खां
ओवरहेड टैंक की जांच टेक्निकल आडिट सेल द्वारा की जा रही है। यहां से जांच लखनऊ मुख्यालय चली गई है। इस माह ही जांच पूरी होने की उम्मीद है। शासन द्वारा जैसे निर्देश प्राप्त होंगे, वैसे ही कार्रवाई की जाएगी। गिरीशं चंद्र, अधिशासी अभियंता, जल निगम