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शहर के बीचो बीच रोडवेज स्टैंड पर एक महिला रात भर खांसती रही। किसी ने उसकी सुध नहीं ली। शनिवार दोपहर को महिला की मौत हो गई। पुलिस ने बगैर मेडिकल टीम से जांच कराये महिला के शव को मोर्चरी भेज दिया। महिला की तीनों बच्चे उसके शव के पास खड़े रोते बिलखते रहे।
शनिवार दोपहर किला की जामा मस्जिद निवासी मेहनाज (30) का शव पड़ा होने से हड़कंप मच गया। मेहनाज की बेटी गुलफ्शां ने बताया कि उनके पिता शाकिर की मौत नौ साल पहले हो गई थी। पिता की मौत के बाद ही उसकी फूफी और चाचा ने उन्हें घर से निकाल दिया और मकान को बेच दिया। रोडवेज बस स्टैंड ही उनका आशियाना था। वह लोग भीख मांग कर अपना गुजारा करतें हैं। वह तीन भाई बहन हैं। पिता की मौत के बाद से ही मां पिता के दोस्त राशिद के साथ रोडवेज पर रहने लगी थीं। रोडवेज गार्ड राकेश कुमार सागर ने बताया कि बच्चों और मेहनाज को पड़ा देखा। जिसके बाद उन्होंने तत्काल डायल 112 को सूचित किया। कुछ देर में ही कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंच गई। मेहनाज जब से रोडवेज आई थी, उसे काफी खांसी थी। वह कई दिनों से बीमार थी। पुलिस ने महिला के शव को जिला अस्पताल मोर्चरी भेज दिया। पुलिसकर्मी और मेहनाज के परिवार वाले कोरोना के खौफ से शव से दूर भागते दिखाई दिये।
कोरोना के खौफ से कोई नहीं आया किनारे
कुतुबखाना चौकी इंचार्ज विष्णु दत्ता व एसआई सुमन पुलिस के साथ मौके पर पहुंची। महिला को कई दिनों से काफी खांसी आ रही थी। कोरोना के खौफ की वजह से महिला शुक्रवार रात भर पड़ी रही। शनिवार दोपहर तक वह पड़ी रही लेकिन किसी ने उसे इलाज के लिये अस्पताल नहीं भेजा। जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। कोरोना के खौफ से न जिंदा रहते और न ही मरने के बाद उसके पास कोई आया।