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बरेली 6 जून:- साहित्यकार ज्ञान स्वरूप 'कुमुद' स्मृति- सम्मान समिति के तत्वावधान में स्थानीय सुभाष नगर में सामाजिक दूरी के निर्वाहन के साथ 'कुमुद' जी का 81 वां जन्मदिन साहित्य चेतना दिवस के रूप में मनाया गया। जिसकी अध्यक्षता साहित्यकार श्री रणधीर प्रसाद गौड़ 'धीर' ने की ।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे व 'कुमुद' जी के चित्र पर माल्यार्पण कर हुआ।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार एवं पूर्व एम.एल.सी. श्री रमेश चन्द्र शर्मा 'विकट' को उनकी उत्कृष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए ज्ञान स्वरूप 'कुमुद' साहित्य शिखर सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान स्वरूप उत्तरीय, प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह संस्थापक/सचिव श्री उपमेन्द्र सक्सेना एडवोकेट ने प्रदान किया ।
सम्मानित साहित्यकार श्री रमेश विकट ने कहा कि साहित्य सृजन एक कला है जिसको उचित प्रोत्साहन दिया जाना अपेक्षित है। साहित्य समाज का दर्पण है जिसके स्तर से ही समाज के स्तर एवं अभिरूचि का ज्ञान होता है। साहित्य की अभिवृद्धि समाज की अपरिहार्य आवश्यकता है इस दिशा में 'कुमुद' जी द्वारा जो कार्य किया गया वह सराहनीय है। उन्होंने साहित्यकारों एवं कवियों का आव्हान कर कहा कि वे परस्पर अहम् को त्याग कर समाज एवं राष्ट्र के उत्थान में सहयोग की भावना से उच्च स्तरीय साहित्य का सृजन करें।
साहित्यकार डॉ महेश मधुकर जी ने इस प्रकार काव्यांजलि दी -
आज ही के दिन धरा पर, अवतरे थे कुमुद जी
जगत में रहते हुए, जग से परे थे कुमुद जी
संस्था- संस्थापक उपमेन्द्र सक्सेना एडवोकेट ने कहा कि आज समाज में अपनत्व का अभाव है। केवल भौतिकवाद को ही महत्त्व दिया जा रहा है ऐसी परिस्थिति में साहित्यकार का यह दायित्व है कि वह अपने साहित्य के माध्यम से समाज में मानवीय भावना जागृत करे।
उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने स्वार्थ को अपना हित मानता है और दूसरों के हितों पर हमला करता है। यह भावना ही समाज को पतन की ओर ले जा रही है। इसे रोकने हेतु साहित्यकार अपने साहित्य के माध्यम से चेतना बिखेर सकता है ।
कवि जगदीश निमिष ने वर्तमान समाज में साहित्यिक अभिरूचि की ओर जन सामान्य की उदासीनता एवं साहित्य में गिरते स्तर पर विशेष चिंता व्यक्त करते हुए साहित्यिक अभिचेतना जागृत करने के लिए प्रबुद्ध साहित्यकार एवं कवियों को अपने कर्तव्य निर्वाह के लिए आव्हान किया।
गीतकार एवं शायर सुभाष राहत ने कहा कि 'कुमुद' जी अच्छे साहित्यकार के साथ ही एक अच्छे इंसान भी थे। वह अपने उत्कृष्ट साहित्य से सदैव स्मरणीय रहेंगे। उन्होंने स्वच्छ आत्मबल का प्रदर्शन करते हुए जनमानस की आकांक्षाओं को अपने शब्दों में ढाला अत: जागरूक लेखकों के लिए भी अनुकरणीय हैं।
श्री योगेश जौहरी ने 'कुमुद' जी को संवेदना, क्षमता एवं दृष्टि का एक सुंदर समन्वित व्यक्तित्व बतलाते हुए कहा कि उन्होंने निर्धनता में रहकर भी सदैव मानवीय मूल्यों को अपनाया और उनके लिए संघर्ष किया।
कार्यक्रम अध्यक्ष साहित्यकार श्री रणधीर प्रसाद गौड़ 'धीर' ने 'कुमुद' जी को एक प्रतिभाशाली, मर्मज्ञ तथा मधुर स्वभाव का धनी बताते हुए कहा कि उन्होंने अपनी लेखनी से ऐसे साहित्य का निर्माण किया जो युग- युग तक मानवीय मूल्यों की स्थापना का आधार स्तंभ रहेगा।
कार्यक्रम के अंत में संस्थापक/ सचिव उपमेन्द्र सक्सेना एड० ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।