उद्योग धंधों के पहिये फिर से चलते ही वापसी को तैयार प्रवासी श्रमिक, फैक्ट्री मालिकों का आने लगा बुलावा

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RGA न्यूज़ लखनऊ उत्तर प्रदेश ब्यूरो चीफ सुनील यादव

लॉकडाउन में जिन मालिकों ने पहले हाथ छोड़ दिया था अब वे श्रमिकों का साथ मांग रहे हैं। कुछ लोग ट्रेन का टिकट भेज रहे हैं तो कुछ घर खर्च के लिए एडवांस राशि भी खातों में भेज रहे हैं।...

लखनऊ:- कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते भी तमाम श्रमिक और कामगार अपने गांवों में लौट आए हैं, लेकिन अब अनलॉक-1 में उद्योग धंधों के पहिये फिर से चल पड़े हैं। ऐसे में फैक्ट्री मालिक इन श्रमिकों-कामगारों को वापस बुलाने लगे हैं। जिन मालिकों ने पहले हाथ छोड़ दिया था, अब वे श्रमिकों का साथ मांग रहे हैं। कुछ लोग ट्रेन का टिकट भेज रहे हैं तो कुछ घर खर्च के लिए एडवांस राशि भी खातों में भेज रहे हैं। इन स्थिति में कामगार वापस अपने पुराने काम पर लौटने की तैयारी में लग गए हैं। हालांकि कुछ ऐसे भी हैं जिनका कहना है कि अपने गांव में ही रहकर गुजारे लायक कमा लेंगे। वे वापस पुराने काम पर नहीं लौटेंगे। 

लखनऊ और आसपास के जिलों की बात करें तो लॉकडाउन में कामकाज बंद कर तमाम मुश्किलों के बीच अपने गांवों को पहुंचे श्रमिक मनमाफिक काम नहीं मिलने से रोजी रोटी के लिए फिर वापस जाने की तैयारी में हैं। कुछ श्रमिक तो वापस लौट भी चुके हैं और कई कंपनियों के संपर्क में हैं। सरकार भले ही श्रमिकों को हुनर के मुताबिक गांवों में ही काम मुहैया कराने के दावे कर रही है लेकिन यह जमीनी हकीकत में कब तब्दील होंगे इसको लेकर श्रमिकों में असमंजस है। वहीं दूसरी ओर बंद कंपनियों के रुके पहियों को रफ्तार देने के लिए कामगारों की जरूरत पड़ने लगी है। ऐसे में कंपनी प्रबंधन उन्हें फोन कर काम पर लौट आने को कह रही हैं। श्रमिकों को मनाने के लिए वह लॉकडाउन के दौरान का पैसा भी देने को तैयार हैं तो निजी वाहन से आने का खर्च भी। ऐसे में बहुत से कामगार वापस जाने का मन बनाने लगे हैं।

प्रयागराज के तमाम कामगार भिवंडी और आसपास के पावरलूम और अन्य कारखानों में काम करते हैं। काम बंद होने पर वे लौट तो आए हैं, लेकिन अब उन्हें कारखाना मालिकों की ओर से बुलावा आने लगा है। किंगरिया का पूरा गांव निवासी विनोद कुमार का कहना है कि पुराने मालिक ने घर चलाने के लिए दस हजार रुपये भी भेजे हैं। बहराना खानपुर गांव निवासी परवेज अख्तर का कहना है कि उनके मालिक ने पांच हजार रुपये उनके खाते में भेजे हैैं। इसी तरह वाराणसी समेत पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, बलिया, चंदौली, भदोही, सोनभद्र, जौनपुर, आजमगढ़, मीरजापुर में लॉकडाउन के बीच बड़े पैमाने पर दिल्ली, गुजरात, मुंबई से गांव आए प्रवासी श्रमिकों के पास कंपनी के मालिक, प्रबंधक व अन्य जिम्मेदार लोगों के फोन आने लगे हैं। कई लोग जाने की तैयारी भी करने लगे हैं। उनका कहना है कि नहीं जाएंगे तो नौकरी चली जाएगी।

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