मृदा की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने वाले रसायनिक उर्वरक काफी महंगे होते हैं और इनका उत्पादन अनवीकरणीय पेट्रोलियम फीडस्टॉक से किया जाता है जो धीरे-धीरे कम हो रहा है। रसायनिक खादों का निरंतर उपयोग मृदा के लिए हानिकारक होता है। उदाहरण के लिए, नाइट्रोजनी खाद यूरिया का अत्यधिक उपयोग मृदा की संरचना को नष्ट कर देता है। इस प्रकार मृदा, वायु और जल जैसे अपरदनकारी कारकों से क्षरण के प्रति संवेदनशील हो जाती है। रसायनिक खादें सतह और भूमिगत जल प्रदूषण के लिए भी उत्तरदायी होती हैं। इसके अतिरिक्त, नाइट्रोजनी खादों के प्रयोग से फसलोंं पर रोग और नाशीजीवों के प्रकोप की भी संभावना रहती है। रसायनिक खादों के निरंतर प्रयोग से मृदा में ह्यूमस और पोषक तत्वों की कमी हो जाती हैं जिसके परिणामस्वरूप उसमें सूक्ष्म जीव कम पनपते हैं। रसायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग के कारण भारतीय मृदाओं में कार्बनिक पदार्थों और नाइट्रोजन की आमतौर पर कमी पाई जाती है। सुपरफॉस्फेट के अत्यधिक उपयोग से पौधों में तांबे और जस्ते की कमी हो जाती है। उक्त के अतिरिक्त, रासायनिक खादें खाद्य फसलों के पोषक तत्वों की मात्रा को भी बदल देती हैं। नाइट्रोजनी खाद यूरिया के अत्यधिक प्रयोग से खाद्यान्नों में पोटैशियम तत्व की कमी हो जाती है। इसी प्रकार, पोटाश का अत्यधिक प्रयोग करने से पौधों में विटामिन सी और कैरोटीन अंश की कमी हो जाती है। नाइट्रेट खाद फसल की पैदावार को तो बढ़ाती है लेकिन ऐसा प्रोटीन की कीमत पर होता है। इसके अतिरिक्त, इससे प्रोटीन के अणुओं में एमिनों अम्लों का संतुलन बिगड़ जाता है जिसके कारण प्रोटीन की गुणवत्ता कम हो जाती है।
जैविक खाद क्या है
Mar
09
2018
By Anand Paritosh
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