RGA न्यूज़ बरेली उत्तर प्रदेश ब्यूरो चीफ
ईद-उल-अज़हा के मुबारक मौके पर मुसलमानों को इस बात से आगाह करना जरूरी है कि कुछ लोग कुर्बानी के बदले सदक़ा करने के मैसेज सोशल मीडिया पर फैला रहे हैं। ये मैसेज एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा हैं। सदक़ा किसी भी तरह से कुर्बानी का बदल नहीं हो सकता, इसलिए जिस पर वाजिब है वह कुर्बानी जरूर करे और जिस पर वाजिब नहीं है मगर वह कुर्बानी करना चाहता है तो नफ्ल के तौर पर कुर्बानी करे। कुर्बानी के अलावा भी किसी की मदद करना चाहते हैं तो जरूर करें मगर मदद के नाम पर कुर्बानी जैसी अज़ीम इबादत न छोड़ें। इसके अलावा सफाई का ध्यान ज़रूर रखें। जानवर की खाल वगैरह इधर-उधर न फेंकें। सड़कों और चौराहों पर भीड़ न लगाएं।
साजिश का शिकार न हों, शरीअत का हुक्म समझें
कुर्बानी के बदले सदक़ा करने की बात एक फितना है जो पहले भी उठता रहा है। बहार-ए-शरीअत के हिस्सा 15 में सफ़हा नंबर 135 पर मसअला साफ लिखा है -
*कुर्बानी के वक्त में कुर्बानी करना ही लाज़िम है, कोई दूसरी चीज़ उसके क़ायम-मकाम नहीं हो सकती मसलन बजाय कुर्बानी उसने बकरी या उसकी कीमत सदक़ा कर दी, ये ना-काफी है, इसमें नियाबत हो सकती है यानी खुद करना जरूरी नहीं बल्कि दूसरे को इजाजत दे दी, उसने कर दी, ये हो सकता है।
मसअला साफ है कि जिस पर वाजिब है वह कुर्बानी जरूर करे। उसके बदले जिंदा जानवर या उसकी कीमत सदका करना सही नहीं है। इसलिए मुसलमानों को किसी बहकावे या साजिश का शिकार नहीं होना चाहिए।
कुर्बानी के बाद गरीबों का हिस्सा ज़रूर दें
कुर्बानी में गरीबों का जो हिस्सा है वो उन तक जरूर पहुंचाएं। इस मुश्किल दौर में जितनी हो सके, उतनी मदद करें। फिज़ूलखर्च से बचकर जरूरतमंदों की मदद करें और दुआएं लें।
सड़कों और नालियों में जानवरों का खून न बहने दें
हमारी शरीअत हमें पाक-साफ रहने का हुक्म देती है। कुर्बानी के वक्त भी इस बात का ख्याल रखें। अपने-अपने इलाकों में सफाई रखें। कुर्बानी के बाद सड़कों और नालियों में खून न बहे और जानवर की खाल वगैरह इधर-उधर न फेंके बल्कि कहीं किनारे जमीन में दफ्न कर दें।
भीड़भाड़ न लगाएं, कानून व्यवस्था बनाए रखें
हालात को नजर में रखते हुए सड़कों और चौराहों पर भीड़भाड़ न लगाएं। कुर्बानी के लिए जितने लोगों की जरूरत हो, सिर्फ उतने लोग ही जमा हों। कुर्बानी जैसी अज़ीम इबादत को तमाशा न बनाएं।
*मौलाना अदनान रजा कादरी (नबीर-ए-आला हजरत)*
नायब सदर, ऑल इंडिया रजा एक्शन कमेटी (आरएसी, दरगाह आला हजरत, बरेली शरीफ)