
RGA न्यूज कानपुर संवाददाता
कानपुर: महानिदेशालय गुणवत्ता आश्वासन स्थापना (डीजीक्यूए) के कर्मचारियों ने शुक्रवार को काली बांधकर विरोध-प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने डीजीक्यूए पर मंडरा रहे खतरे से निपटने के लिए संघर्ष करने की हुंकार भरी। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार से आजादी के पहले की व्यवस्था को निजी हाथों से बचाने की गुहार की।
आल इंडिया डिफेंस इम्प्लाइज फेडरेशन के आह्ववान पर देश भर में प्रदर्शन की कड़ी में शहर की डीजीक्यूए की युनिटों से जुड़े कर्मचारी आंदोलित है। इस क्रम में ही राष्ट्रीय आह्वान पर कर्मचारियों ने काली पट्टी बांध कर प्रदर्शन किया। कर्मचारियों का कहना है कि आयुध निर्माणियों में रक्षा उत्पाद, सामान्य वस्तु, पेट्रोल पदार्थ, क्लाथिंग व सभी सामग्रियों की गुणवत्ता सर्वश्रेष्ठ करने का काम डीजीक्यूए विभाग करता है। इस विभाग पर निजीकरण की परछाई पड़ गई है। निजी घरानों के दवाब में इस विभाग के खिलाफ साजिश की जा रही है। चालू वित्तीय वर्ष में आयुध निर्माणी बोर्ड ने विभाग का वर्ग टारगेट नहीं दिया है। इससे हथियारों के उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है। यहां तक कि दवाब में अफसरों ने लिख कर दे दिया है कि हथियारों का उत्पादन यहां संभव नहीं है। देश में लगभग 108 डीजीक्यूए स्थाना हैं। रक्षा मंत्रालय ने निजी घरानों को करार में उन्हें सेल्फ सर्टिफिकेट की मान्यता दी है।
कालपी रोड स्थित वरिष्ठ गुणता आश्वासन स्थापना (एसएएफ), वरिष्ठ गुणता आश्वासन स्थापना (ओएफसी), फील्ड गन समेत यूनिट में असमंजस की स्थिति है। स्माल आर्म्स इंस्पेक्टरेट इम्प्लाइज एसोसिएशन के महामंत्री घनश्याम त्रिपाठी के नेतृत्व में कर्मचारियों ने काली पट्टी बांध कर प्रदर्शन कर संघर्ष की घोषणा की। इस मौके पर रश्मि ओबराय, आशा देवी, दिनेश कुमार, महेश सिंह चौहान, एसएन सिंह, राजकरन, अनिरुद्ध सिंह, राजकुमार, वीरेंद्र बहादुर, सुशील चंद्रा, श्रीकिशन, मैकूलाल आदि मौजूद रहे।
रक्षा उत्पादन सचिव को ज्ञापन दिया
आल इंडिया डिफ़ेन्स इम्प्लाइज फ़ेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं डीजीक्यूए जेसीएम के नेता एमकेआर पिल्ले ने बंगलोर में रक्षा उत्पादन सचिव को ज्ञापन दिया। ज्ञापन में कर्मचारी और देश हित में निजीकरण से विभाग को बचाने की मांग की गई है।