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लोक मान्यता के अनुसार मनुष्य के लिए अशुभ माना जाने वाला स्तनधारी जीव चमगादड़ इंसानी जिंदगी के लिए काफी अहम है। यह न सिर्फ जंगल बसाने में सहायक है, बल्कि इसके लार से हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों की दवा भी बनाई जाती है। कोडरमा जिले के झुमरीतिलैया श्रम कल्याण परिसर में बड़ी संख्या में अलग-अलग प्रजाति के चमगादड़ मौजूद हैं। बड़ी संख्या में चमगादड़ की मौजूदगी के संज्ञान में आने के बाद वन विभाग अब इन चमगादड़ को संरक्षित करेगा।
कोडरमा पहुंचे हजारीबाग के वन संरक्षक अजित कुमार सिंह ने बताया कि मानव जीवन के लिहाज से चमगादड़ काफी अहम हैं। उन्होंने बताया कि पूरे विश्व मे चमगादड़ की 1116 प्रजातियां पाई जाती है। इसमें से 109 प्रजाति सिर्फ भारत में प्रवास करती है। लेकिन सबसे दुखद पहलू यह है कि इसकी संख्या में लगातार कमी आ रही है। चमगादड़ भी गिद्ध, गौरैया, कौआ की तरह लुप्त हो जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। झुमरीतिलैया स्थित श्रम कल्याण परिसर में लगे यूकेलिप्टस के पेड़ों में इनकी संख्या देखने लायक है।
लेकिन यह संख्या भी दिन प्रतिदिन घटती जा रही है। खासकर गर्मी के मौसम में इनकी मौत का सिलसिला तो बदस्तूर जारी रहता है। वहीं दूसरी तरफ श्रम कल्याण परिसर में नए भवनों के निर्माण को लेकर लिप्टस के कई पेड़ों की कटाई भी की गई। ऐसे में सुरक्षित माहौल नहीं मिलने से इनकी संख्या यहां भी धीरे-धीरे कम होती जा रही है। हालांकि कोडरमा के एक बड़े भूभाग में लुप्त हो रहे गिद्धों का झुंड देखे जाने के बाद यहां उसके संरक्षण के लिए वन विभाग आगे आया है।
वहीं अब जंगल बसाने में सहायक चमगादड़ का संरक्षण भी किए जाने की तैयारी चल रही है। कोडरमा के वन प्रमंडल पदाधिकारी सूरज कुमार ने बताया कि उन्हें श्रम कल्याण में बड़ी संख्या में चमगादड़ों की मौजूदगी की सूचना मिली है। जल्द ही मौजूद चमगादड़ की प्रजाति और उनकी गणना की जाएगी, ताकि उन्हें उनके अनुकूल माहौल मिल सके और उन्हें संरक्षित किया जा सके। उन्होंने कहा कि एक-एक चमगादड प्रतिदिन लाखों कीड़े मकोड़ों को अपना भोजन बनाता है जो मनुष्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं।
पर्यावरण शुद्व करने की दिशा में यह सबसे पहले उन फलों को खाता है जो सड़-गल रहे हों। साथ ही लगभग 500 प्रजाति के पेड़-पौधे के पराग में इनका महत्वपूर्ण योगदान होता है। इस प्रकार 90 प्रतिशत जंगल का निर्माण चमगादड़ के ऊपर निर्भर करता है। वन संरक्षक अजित कुमार भी यह मानते हैं कि चमगादड को आमतौर पर लोग अशुभ मानते हैं, लेकिन यह मनुष्य के लिए काफ़ी लाभकारी जीव है।
इसके लार से हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों के अलावा कई जीवन रक्षक दवाएं भी बनाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि जिन इलाकों में वन विभाग की ओर से पौधारोपण नहीं किया जा सकता है, उन इलाकों में भी चमगादड़ के परागण से बड़ी संख्या में पेड़-पौधे जन्म लेते हैं और एक घने जंगल का निर्माण भी इनके द्वारा किया जाता है। फिलहाल झारखंड के मांडु में चमगादड़ का सरंक्षण वाइल्ड लाइफ की ओर से किया जा रहा है।