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नरसिंहपुर। गन्ना-दलहन उत्पादन वाला मध्य प्रदेश का नरसिंहपुर जिला (Narsinghpur) फलों की खेती के साथ काले चावल की भी अच्छी पैदावार दे रहा है। इसका स्वाद और औषधीय गुण कई प्रांतों में लोगों को पसंद आ रहे हैं। काला चावल उत्पादन करने वाले रमपुरा के उन्नत किसान चौधरी नरेंद्र कुमार इन दिनों पैकेट बनाकर इसकी सप्लाई करने में जुटे हैं। जानें क्या है इसमें खास कि दे रहा अच्छा मुनाफा...
पानी की बचत में मददगार
जिले की गाडरवारा तहसील के रमपुरा निवासी किसान नरेंद्र कुमार कहते हैं कि उन्होंने और खुरसीपार के राकेश शुक्ला ने मिलकर अलग-अलग डेढ़-डेढ़ एकड़ रकबे में काले चावल की जैविक पद्धति से खेती शुरू की थी। इसकी खेती मुनाफा देने के साथ ही पानी की बचत में भी मददगार है। इस चावल की मांग तमिलनाडु, बिहार, राजस्थान, मुंबई, हरियाणा में खूब है। मौजूदा वक्त में यह 300 रुपए प्रति किलो तक ऑनलाइन बिक रहा है।
मुनाफे देती है यह खेती
नरेंद्र कुमार कहते हैं कि काला चावल असम, मणिपुर राज्यों में ही होता था लेकिन अब यह सूबे की माटी में भी खूब पैदावार दे रहा है। मैं करीब चार साल से काले चावल की खेती कर रहा हूं। मैंने चखावपोयानिन किस्म का चावल लगाया है। इस चावल का जो उत्पादन होता है उसकी बिक्री बाहर होती है। काले चावल की खेती में 20 से 25 हजार रुपए प्रति एकड़ की लागत आती है और यह दूसरे किस्मों की धान की तरह 120 से 130 दिन की होती है।
ऐसे मिली प्रेरणा
नरेंद्र बताते हैं कि पहले वह मुंबई में क्लैम डिपार्टमेंट में नौकरी करते थे। वर्ष 2004-05 की बात है जब ताज होटल में उन्होंने काले चावल की खीर खाई तो विचार किया कि कभी वह भी अपने खेत में काले चावल की खेती करेंगे। जब नौकरी छोड़ी और गांव आकर खेती शुरू की तो यह प्रयोग किया।
काले चावल का औषधीय गुण
नरेंद्र कहते हैं कि काले धान का चावल कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने में कारगर माना जाता है। डॉक्टर भी इसके प्रयोग की सलाह देते हैं। इसमें रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं होने से इस धान की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। काला चावल एंटीऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर माना जाता है। इसमें विटामिन बी, ई के अलावा कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक प्रचुर मात्रा में होता है।