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आंध्र प्रदेश में वाईएसआरसी नेताओं ने की थी जजों के खिलाफ बयानबाजी। प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेताओं द्वारा कुछ जजों और न्यायपालिका के खिलाफ सोशल मीडिया में कथित अपमानजनक टिप्पणियों की राज्य सीआइडी की जांच पर हाई कोर्ट ने सोमवार को नाखुशी जताई। हाई कोर्ट ने अब सीबीआइ को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया।
जस्टिस राकेश कुमार और जस्टिस जे. उमा देवी की पीठ ने सीबीआइ को एफआइआर दर्ज करने और आठ हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सीआइडी की जांच पर टिप्पणी की कि वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं को बचाने के लिए उनके खिलाफ मामले भी दर्ज नहीं किए गए। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह जांच में सीबीआइ के साथ सहयोग करे।
सरकार के खिलाफ सुनाए गए कुछ फैसलों के बाद जजों और न्यायपालिका के खिलाफ विधानसभा स्पीकर टी. सीताराम, उपमुख्यमंत्री नारायण स्वामी, सांसद वी. विजयसाई रेड्डी, नंदीग्राम सुरेश, पूर्व विधायक ए. कृष्ण मोहन और वाईएसआर कांग्रेस के अन्य नेताओं की टिप्पणियों पर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। हाई कोर्ट के निर्देश पर उसके रजिस्ट्रार जनरल ने राज्य सीआइडी में शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें आरोपितों के नाम और उनके संबंध में सुबूत भी दिए गए थे, लेकिन राज्य पुलिस ने कथित रूप से सिर्फ नौ लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की।
अदालत ने सीआइडी से सवाल किया कि उसने इन नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज क्यों नहीं किया। हाई कोर्ट ने कहा, 'उनकी टिप्पणियां लोकतंत्र के लिए खतरनाक और न्यायपालिका पर हमले जैसी हैं। अगर कोई सामान्य व्यक्ति सरकार के खिलाफ टिप्पणी करता है तो ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ तत्काल मामले दर्ज कर लिए जाते हैं। जब उच्च पदस्थ व्यक्ति जजों और अदालतों के खिलाफ टिप्पणी करते हैं तो मामले दर्ज क्यों नहीं किए गए? यह देखते हुए हम यह मानते हैं कि न्यायपालिका के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया गया है।'
बता दें कि हाई कोर्ट ने यह आदेश ऐसे समय दिया है जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ न्यायाधीश पर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के फैसलों को प्रभावित करने का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि न्यायाधीश तेलुगु देसम पार्टी के हितों के लिए काम कर रहे हैं।