

RGA न्यूज़ लखनऊ उत्तर प्रदेश
लखनऊ:- लकड़ी से लेकर प्लास्टिक, स्टील, कपड़े व अन्य वस्तुओं पर कोरोना वायरस अलग-अलग दिनों तक सर्वाइव करता है, लेकिन ठहरे हुए पानी में यह वायरस 10 दिनों तक जीवित रह सकता है। साथ ही सप्लाई और नल के पानी में भी इतने ही दिनों तक सर्वाइव कर सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार सीवेज वाटर में यह दो से चार दिनों तक जीवित रह सकता है। एरिजोना विश्वविद्यालय के नेशनल साइंस फाउंडेशन वॉटर क्वालिटी सेंटर की ओर से किए गए शोध में यह बात सामने आई है।
एसजीपीजीआइ व लोहिया संस्थान के विशेषज्ञ बताते हैैं कि इस शोध के अनुसार यदि नल के पानी व बेसिन या सप्लाई के पानी में कोरोना वायरस आ चुका है तो यह स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में पहुंचकर उसे संक्रमित कर सकता है। विज्ञानियों का दावा है कि फिल्टर व गैर फिल्टर टैप वाटर (नल या सप्लाई के पानी) अथवा ठहरे हुए जल में कोरोना वायरस चार से 23 डिग्री तक के तापमान पर 10 दिनों तक व सीवेज वाटर में यह 23 डिग्री तापमान तक दो से चार दिनों तक जीवित रह सकता है। यहां वायरस के सर्वाइवल में तापमान के अलावा उसमें मौजूद आर्गेनिक मैटर का लेवल व प्रतिरोधी बैक्टीरिया काफी अहम होता है। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस पोलियो वायरस-1 की तरह ही सर्वाइव करता है, लेकिन फर्क यह है कि पोलियो का वायरस कोरोना से ज्यादा दिनों तक टैप और सीवेज के वाटर में जीवित रहता है।
एसजीपीजीआइ में माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्ष डॉ. उज्ज्वला घोषाल कहती हैं कि कई बार सीवेज का पानी लीकेज के जरिये सप्लाई के पानी व नल के पानी में मिल जाता है जो जिससे संक्रमण का खतरा हो सकता है। सभी जगह के पानी में इसका खतरा नहीं है, लेकिन यह कहां के पानी में हो सकता है, इस बारे में बिना जांच के कुछ कहना संभव नहीं है। इसलिए लोगों को सावधान रहना जरूरी है। पानी का क्लोरीनीकरण करके वायरस को नष्ट किया जा सकता है।