युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं काकोरी के शहीद 

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RGA न्यूज़ बरेली अमित मिश्रा
बरेली:- आज 19 दिसंबर 2020 काकोरी कांड की अमर क्रांतिकारी शहीदों की स्मृति में अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा एक बैठक राजेंद्र नगर स्थित साहित्य भूषण  डॉ सुरेश बाबू  मिश्रा के निवास पर की गई ।बैठक का संचालन अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांतीय संयुक्त मंत्री रोहित राकेश ने किया।  अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ सुरेश बाबू मिश्रा  ने बताया 19 दिसंबर 1927 को आज के ही दिन काकोरी कांड के अमर क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खां एवं ठाकुर रोशन सिंह हंसते-हंसते फाँसी के फंदे पर झूल गए। उनके इस बलिदान ने लोगों के दिलों में सुलग रही आजादी की आग को और भड़का दिया और उनकी यह अमर शहादत देश के युवाओं के लिए सदैव प्रेरणा स्रोत रहेगी। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांतीय संरक्षक डॉ एन एल शर्मा ने कहा देश की क्रांति के लिये हथियारों की आवश्यकता थी इसलिये सरकारी खजाने को लूटने का निर्णय लिया ।  सहारनपुर से लखनऊ जाने वाली गाड़ी से उस खजाना ले जाया जाता था प्रखर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में इस खजाने को लूटने की योजना बनाई गई ।राम प्रसाद बिस्मिल ,ठाकुर रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खान ,राजेंद्र लोहरी इस योजना में शामिल थे । सरकारी खजाने की लूट की घटना 9 अगस्त 1925 में ककोरी स्टेशन के पास अंजाम दी इसलिए इतिहास में से काकोरी कांड से जाना जाता है। दिनदहाड़े सरकारी खजाने की लूट की इस घटना से अंग्रेज शासन में मच गया । देशभर में क्रांतिकारियों की धरपकड़ तेज हो गई। राम प्रसाद बिस्मिल ,अशफाक उल्ला खां राजेन्द्र लाहिड़ी  समेत  22 जवान क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया ।विभिन्न धाराओं के तहत उनपर मुकदमा चला। 18 महीने तक चले मुकदमे के बाद राम प्रसाद बिस्मिल ,अशफाक उल्ला खां ,रोशन सिंह और राजेन्द्र लाहिड़ी को फांसी की सजा सुनाई गई। 
अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रांतीय संयुक्त मंत्री रोहित राकेश ने बताया 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल में ककोरी कांड के क्रांतिकारियों को फांसी लगाई गई ।जब राम प्रसाद बिस्मिल को  फांसी पर ले जाने के लिए बुलावा आया तो वह 'वंदे मातरम' 'भारत माता' की जय कहते हुए तुरंत चल दिए। फांसी के तख्ते पर खड़े होकर उन्होंने  कहा- मैं ब्रिटिश साम्राज्य का विनाश चाहता हूँ। फिर उन्होंने एक शेर पढ़ा -अब न अहले बुलबुले हैं और अरमानों की भीड़ है  एक मिट जाने की हसरत अब दिले में बिस्मिल में है। बैठक में इंद्रदेव त्रिवेदी, डॉ एस पी  मौर्य ,डॉ नितिन सेठी, डॉ रवि प्रकाश शर्मा, दीपांकर गुप्त ,प्रमोद अग्रवाल आदि उपस्तिथि रहें।

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