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अमेरिकी राजनयिकों, जासूसों और सैन्य कर्मियों के दिमाग पर माइक्रोवेव और रेडियो वेव से हमले हो रहे हैं।
अमेरिकी राजनयिकों जासूसों और सैन्य कर्मियों के दिमाग पर माइक्रोवेव और रेडियो वेव से हमले किए जाने का मामला सामने आया है। हाल-फिलहाल ऐसे हमलों में तेजी आई है। अब तक अधिकारी इन हमलों के पीछे कौन है इसका पता नहीं लगा सके हैं।
अमेरिकी राजनयिकों, जासूसों और सैन्य कर्मियों के दिमाग पर माइक्रोवेव और रेडियो वेव से हमले किए जाने का मामला सामने आया है। हाल-फिलहाल ऐसे हमलों में तेजी आई है। अब तक विज्ञानी और सरकारी अधिकारी इन हमलों के पीछे कौन है, इसका पता नहीं लगा सके हैं। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इन हमलों में किसी अमेरिकी विरोधी का हाथ साबित होता है तो उस दशा में वाशिंगटन कोई बड़ा कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
हवाना सिंड्रोम नाम दिया गया
फिलहाल बाइडन प्रशासन मामले की गंभीरता से जांच कराने और प्रभावित लोगों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने की बात कह रहा है। इस तरह के हमलों का सबसे पहला मामला क्यूबा स्थित अमेरिकी दूतावास में वर्ष 2016 में दर्ज किया गया था। इसी के चलते इसे हवाना सिंड्रोम नाम दिया गया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद कर रही जांच
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि अब तक ऐसे 130 मामले सामने आ चुके हैं। दर्जनों मामले तो पिछले वर्ष ही दर्ज किए गए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद इन हमलों की जांच कर रही है।
हमले से पहले सुनाई देती है तेज आवाज
जिन लोगों पर यह हमला हुआ है, उन्होंने सिरदर्द और चक्कर आने की बात डॉक्टरों से कही है। कुछ ने हमले से पहले तेज आवाज सुनाई देने की बात भी बताई है।
व्हाइट हाउस के पास मौजूद एक अधिकारी पर भी हुआ हमला
वाशिंगटन में कम से कम ऐसी दो घटनाओं का पता चला है। इनमें से एक हमला पिछले वर्ष नवंबर में व्हाइट हाउस के पास का है। इसकी चपेट में आए एक अधिकारी ने हमले के बाद चक्कर आने की बात कही।
सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई
प्रभावित लोगों की पैरवी करने वाले वाशिंगटन के एक वकील मार्क जैद ने सरकार पर समस्या को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में पहले से पता था, लेकिन उसने कोई कदम नहीं उठाया। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के दस्तावेजों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के पास 1990 में एक शत्रु देश द्वारा इस तरह के हमले किए जाने की जानकारी थी।
क्रिस मिलर ने बनाई थी पेंटागन के अधिकारियों की टीम
ट्रंप प्रशासन के अंतिम महीनों के दौरान कार्यवाहक रक्षा मंत्री क्रिस मिलर ने इन हमलों की जांच के लिए पेंटागन के अधिकारियों की एक टीम बनाई थी। बता दें मिलर ने इस तरह के हमले से पीडि़त एक सैनिक से मिलने के बाद जांच का आदेश दिया था।
हमले में किसका हाथ हो रही जांच
रक्षा विभाग के प्रवक्ता लेफ्टिेनेंट कर्नल थामस कैंपबेल ने बताया कि जांच के बाद ही इसका पता चल सकेगा कि इन हमलों के पीछे किसका हाथ है। हालांकि अभी तक इसके पीछे किसी देश की संलिप्तता का पता नहीं चला है।
हमलों के लिए अव्यवस्था जिम्मेदार
विदेश विभाग से जुड़े वर्ष 2018 के दस्तावेजों में हवाना में हुई घटना के लिए वरिष्ठ नेतृत्व की कमी और अव्यवस्था को वजह बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमलों की वजह का आज तक पता नहीं चल सका है। हालांकि इन हमलों के बाद सीआइए ने हवाना स्थित अपना स्टेशन बंद कर दिया, जिसे एक तरह से शत्रु की जीत माना जा रहा है।