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RGA news
तमाम ने कम करने की जगह चुपचाप बढ़ा दी फीस।
School Fees in Agra तमाम ने कम करने की जगह चुपचाप बढ़ा दी फीस। अभिभावक पूरी चुकाने को मजबूर। शिक्षक-कर्मचारियों की वेतन कटौती कई जगह कर दी गई छंटनी। शिक्षक और कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर दी गई है।
आगरा कोरोना महामारी से जहां अभिभावक आर्थिक रूप से परेशान हैं, वहां तमाम स्कूल जमकर मनमानी कर रहे हैं। एक तरफ अभिभावकों को फीस में छूट का वादा किया जा रहा है, तो दूसरी तरफ महीने के हिसाब से ज्यादा फीस बताकर वसूली जा रही है। आनलाइन कक्षाओं के संचालन के बावजूद शिक्षक और कर्मचारियों के वेतन से 30 से 60 फीसद तक कटौती की जा रही है। कई जगह एक साल से वेतन नहीं दिया गया, तो कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने मदद की जगह छंटनी कर दी है।
शासन ने स्कूलों को निर्देश देकर फीस में बढ़ोतरी न करने और सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के निर्देश दिए हैं। हालांकि शासनादेश आने पर सभी स्कूल संचालकों ने उसे मानने की बात कही। लेकिन तमाम स्कूलों संचालकों ने इसमें अपना ही खेल शुरू कर दिया है।
मुगल रोड निवासी बबलू अहमद के तीन बच्चे संजय प्लेस स्थिति कान्वेंट स्कूल में पढ़ते हैं। स्कूल ने तीनों बच्चों की फीस बुक में पिछले साल से फीस बढ़ाकर प्रिंट करा दी है, आपत्ति पर बताया कि पहले तिमाही फीस लेते थे, अब मासिक भुगतान की सुविधा दी गई है। फीस में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। हालांकि फीस किस-किस मद में वसूली जा रही है, इसकी कोई जानकारी नहीं दी
रियायत के लिए दें प्रार्थना पत्र
शासन ने स्कूलों से अपील की थी कि मुश्किल समय में अभिभावकों को फीस में रियायत दें। तमाम स्कूल अपने स्तर से रियायत दे रहे हैं, लेकिन कुछ ने इसमें भी खेल कर दिया। दयालबाग निवासी अनूप चौधरी ने बताया कि पब्लिक स्कूल रियायत मांगने या मासिक फीस जमा करने के नाम पर अभिभावकों को प्रार्थना पत्र देने के लिए कह रहे हैं। साथ ही अभिभावकों से पारिवारिक आय की जानकारी भी मांगी जा रही है। अभिभावक पहले से परेशान हैं। घर के बढ़े खर्च के बीच राहत देने की जगह स्कूल उन्हें प्रताड़ित और कर रहा है।
आनलाइन क्लास में भी ड्रेस
ताजनगरी निवासी कोमल धूपर का कहना है कि बेटी की फीस पूरी जमा की। आनलाइन क्लास के बाद भी कापी-किताब, स्कूल ड्रेस व जूता मोजा भी खरीदना पड़ा। आनलाइन क्लास में ड्रेस पहनकर शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं।
शिक्षक-कर्मचारी सब परेशान
निकाले गए तमाम शिक्षक इस स्थिति में हैं कि अपनी व्यथा किसी से कह भी नहीं सकते, क्योंकि एक स्कूल से तो निकाल दिए गए हैं, लेकिन शिकायत करने पर दूसरी जगह नौकरी मिलने की संभावना भी खत्म हो जाएगी। जबकि जिन शिक्षक और कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर दी गई है, वह भी बेबसी में किसी को अपना दर्द नहीं बता पा रहे। उनका कहना है कि कम से कम घर का गुजारा तो चल रहा है, शिकायत करने पर नौकरी भी जाएगी और मुश्किल समय में नई नौकरी तलाशना आसान नहीं।