Jhiram Valley Scandal: झीरम घाटी में दिवंगत नेताओं को हमेशा याद रखेगी कांग्रेस: महापौर

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RGA news

बस्तर संभाग के झीरम घाटी में 25 मई 2013 को हुए नक्सली घटना में प्रदेश कांग्रेस के दिवंगत शीर्ष नेताओं को याद किया गया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देशानुसार कांग्रेस भवन में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इसमें दिवंगत हुए नेताओं और शहीद पुलिस कर्मियों के प्रति कांग्रेसजनों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।

कांग्रेस के परिवर्तन यात्रा के दौरान पूरे प्रदेश का भ्रमण करने के बाद यात्रा बस्तर पहुंची थी और सुकमा कार्यक्रम के बाद वापसी के दौरान झीरम घाट में नक्सली हमले से तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल, बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार, दिनेश पटेल सहित प्रदेश के कांग्रेस नेता और पुलिस कर्मियों सहित कई लोगांे की मौत हो गई थी।

उन्हें याद करते हुए मंगलवार को उनके सम्मान में दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम के दौरान महापौर रामशरण यादव ने कहा कि कांग्रेस नेताओं का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। कांग्रेस ने देश के लिए हमेशा बलिदान दिया है। कांग्रेस झीरम घाटी में दिवंगत नेताओं को हमेशा याद रखेगी। श्रद्धांजलि सभा में विधायक श्ौलेष पांडेय, जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सिंह चौहान, सभापति श्ोख नजीरुद्दीन, शहर और ब्लाक कांग्रेस कमेटी के सदस्य उपस्थित रहे।

हिंसा के परिणाम से खोया है पिता व भाई: उमेश

प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे स्व नंद कुमार पटेल की स्मृति में अटल विहारी विश्व विद्यालय की ओर से वर्तुअल व्यख्यान रखा गया। व्याख्यान का विषय हिंसा मुक्त समाज केनिर्माण में कानून और न्याय की भूमिका रहा। इस दौरान अतिथियों ने अपने विचार रखे। अध्यक्षता कुलपति आचार्य एडीएन बाजपेई थे। उपस्थित थे। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में उधा शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि हिंसा का परिणाम से मैंने अपने पिता और भाई को खोया है।

आज के दिन मेरे पिता शहीद नंद कुमार पटेल और बड़े भाई का निधन झीरम घाटी की घटना में हुआ था। मैं उस पीड़ा को महसूस कर सकता हूं कि आठ साल से हम न्याय का इंतज़ार कर रहे हैं। वहीं प्रमुख वक्ता के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट, सांसद विवेक तन्खा ने बताया कि जब तक लोगांे को संविधान में प्रदत्त सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बराबरी नही मिलेगी, वे आंदोलित होकर हिंसा की तरफ बढ़ेंगे। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के नक्सल बाड़ी से शुरू हुई आंदोलन का स्वरूप बिगड़ कर झीरम जैसे बड़ी घटना हुई है।

समाज में जब बगावत होता है, कुछ लोग उन्हें व्यावसायिक रूप से प्रश्रय देकर इस प्रकार की घटना को अंजाम देते हैं। अपराध का जन्म आसपास के वातावरण से होता है। ज्यादातर अपराधी छोटे- छोटे कारणों से अपराध की दिशा में कदम रखते हंै ,जैसे पटवारी ने कार्य नही किया,हवलदार ने ज्यादती की,इसी प्रकार की छोटी घटना ही बगावत की तरफ ले जाती है, इसलिए तंत्र को समझना होगा और उसे दूर करने का प्रयास करना होगा।

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