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ठा. राधारमण मंदिर में वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को भगवान राधारमण देव का 481वां प्राकट्योत्सव उल्लासपूर्वक मनाया।
प्राकट्योत्सव लगातार दूसरे साल भी महाभिषेक के दर्शन से वंचित रहे श्रद्धालु। सेवायतों ने फेसबुक लाइव के जरिए देश-दुनिया में भक्तों को करवाए दर्शन। गर्भगृह से भगवान के श्रीविग्रह को जगमोहन में लाकर चांदी की चौकी पर विराजमान कराय
आगरा वृंदावन के सप्तदेवालयों में शामिल ठा. राधारमण मंदिर में वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को भगवान राधारमण देव का 481वां प्राकट्योत्सव उल्लासपूर्वक मनाया। मंदिर गोस्वामियों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य ठाकुरजी के श्रीविग्रह का पंचामृत से महाभिषेक किया। इसके पश्चात भव्य श्रृंगार और महाराजोपचार किया। लेकिन कोरोनकाल में लागू कर्रफ्यू की बंदिशों के चलते श्रद्धालुओं को आराध्य के प्राकट्योत्सव पर महाभिषेक के लगातार दूसरे साल भी दर्शन सुलभ नहीं हो सके।
ठा. राधारमण मंदिर में बुधवार की सुबह से ही उल्लास छाया था। मंदिर के अंदर और बाहर विशेष सजावट हुई। ठा. राधारमण देव के प्राकट्योत्सव पर मंदिर के गर्भगृह से भगवान के श्रीविग्रह को जगमोहन में लाकर चांदी की चौकी पर विराजमान कराया। सेवायत यमुना से अपने आराध्य के महाभिषेक के लिए यमुना जल लेकर मंदिर पहुंचे ओर ठा. राधारमण देव का दूध, दही, घी, शहद, बूरा व जड़ी-बूटियों से महाभिषेक किया। पंचामृत से अलावा अभिषेक में 50 प्रकार की विभिन्न जड़ी बूटियों, केसर, गंधाष्टक, बीजाष्टक, सुमंगली, सर्वोषधि, महौषधि का प्रयोग महाभिषेक में हुआ। महाभिषेक के बाद आराध्य देव राधारमण का भव्य श्रृंगार कर महाराजोपचार पूजन करने के बाद आरती उतारी गई। मंदिर सेवायत आचार्य पद्मनाभ गोस्वामी ने बताया, चैतन्य महाप्रभु के कृपापात्र श्रीपाद गोपाल भट्ट गोस्वामी की परम भक्ति और आराधना से वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को दामोदर शालिग्राम शिला में श्र्रीराधारमण देव के श्रीविग्रह का स्वयं प्राकट्य लगभग 481 वर्ष पूर्व हुआ था। कहा, कोराना महामारी से भक्त और विश्व मानव मात्र को शीघ्र छुटकारा मिले, इसके लिए विशेष प्रार्थना की गई। इस बार कोरोना काल में कर्फ्यू के कारण दर्शनार्थियों का प्रवेश पूर्णत: प्रतिबंधित रहा। भक्तगणों को फेसबुक लाइव से दर्शन कराए गए।