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मेरठ में ब्लैक फंगस की दवा का भारी संकट
मेरठ में ब्लैक फंगस की दवाओं का भारी संकट आ गया है। कोई भी डोज पूरी नहीं हो पा रही है जिस कारण बार-बार दवाएं बदलनी पड़ रही है। हालाकि कि मरीजों ने कई राज्यों से दवा मंगवाया है। मेडिकल में सौ से ज्यादा मरीज भर्ती हैं।
मेरठ कोरोना से कई गुना खतरनाक बीमारी ब्लैक फंगस लगातार जान ले रही है। एंटी फंगल दवाएं बाजार में नहीं हैं और सरकार इसकी आपूर्ति नहीं कर पा रही है। हालात ये हैं कि मरीजों को किसी दवा का पूरा कोर्स नहीं मिल पा रहा है। एंफोटेरेसिन-बी की कमी होने पर मरीजों को सेकेंड लाइन ड्रग पोसोकोनोजोल देनी पड़ी। यह भी बाजार में नहीं मिल रही। मरीजों ने उत्तराखंड, नई दिल्ली, गुजरात व महाराष्ट से दवा मंगवाया है।
मेडिकल में सौ से ज्यादा फंगस रोगी भर्ती किए जा चुके हैं। एक मरीज को रोज छह वायल इंजेक्शन लगता है। ऐसे में रोज छह सौ वायलों की खपत थी, लेकिन अब माहभर में सिर्फ तीन सौ वायल एंफोटेरिसिन-बी मिली है। लखनऊ से दवा न मिलने पर पोस्कोनोजोल टेबलेट मंगाकर मरीजों को देनी पड़ी। सप्ताहभर में लखनऊ से तीन बार इंजेक्शन मंगाया गया, जिसे गाजियाबाद, नोएडा तक के मरीज ले गए। प्रदेश सरकार से तीन सौ अतिरिक्त वायलों की मांग की गई है। अब तक दस अस्पतालों में फंगस के मरीज मिल चुके हैं, जिसमें किसी अस्पताल में मरीजों को इलाज का पूरा डोज नहीं मिल पाया।
केमिस्ट एसो. ने ब्लैक फंगस की दवाइयों को लेकर की बैठक
जिला मेरठ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसो. की बैठक हुई। जिसमें कोरोना काल में दवाइयों की कमी व ब्लैक फंगस से संबंधित दवाइयों के विषय पर चर्चा हुई। एसो. के अध्यक्ष नरेश चंद ने कहा कि जिस तरह से ब्लैक फंगस के मरीज बढ़ रहे हैं और बाजार में दवाओं का अभाव है शासन से मांग है कि इन दवाओं की उपलब्धता बाजार में हो। रजनीश कौशल, मनोज अग्रवाल, मनोज शर्मा मौजूद रहे।
ये हैं दवाएं > ये है प्रतिदिन का खर्च >क्या है डोज
एंफोटेरिसिन-कन्वेंशनल> 250-300 रुपये प्रतिदिन> एक मिलीग्राम प्रति किलो वजन
एंफोटेरिसिन-लाइफोलाइज्ड> ढाई से तीन हजार प्रतिदिन> 1.5 मिलीग्राम प्रति किलो वजन
एंफोटेरिसिन-लाइपोसोमल> 8-9 हजार रुपये प्रतिदिन> 3 मिलीग्राम प्रति किलो वजन
मेडिकल कालेज प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा- शासन ने 300 वायल एंफोटेरिसिन इंजेक्शन मांगा गया है। आपूर्ति निश्चित रूप से पर्याप्त नहीं है, लेकिन अन्य वैकल्पिक दवाओं से मेडिकल में भर्ती 90 में से 21 ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं। 69 एक्टिव मरीज हैं, जिनमें से कईयों के आपरेशन की तैयारी है। उम्मीद है कि ज्यादातर ठीक हो जाएंगे।
न्यूटिमा गुर्दा रोग विशेषज्ञ डा. संदीप गर्ग ने कहा कि एंटी फंगल दवाओं का भारी संकट है, लेकिन सीमित खुराक के बावजूद मरीज ठीक हो रहे हैं। एंफोटेरिसिन बी के अतिरिक्त पास्कोनोजोल 400 मिलीग्राम एक बार व आइसोवोकोनाजोल की 372 मिलीग्राम डोज ओरल या आइवी 24 घंटे में तीन बार देते हैं। उसक बाद इसे दिन में एक बार दिया जाता है।