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खुद को वाणिज्य कर विभाग का असिस्टेंट कमिश्नर बताकर दवा की दुकानों करते थे छापामारी।
आरोपितों ने बताया कि वह दवाई की दुकानों पर छापा मारते थे। इस दौरान महामारी की रोकथाम के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा का स्टॉक चेक करते थे। इसके बाद दवा व्यापारियों पर दबाव बनाकर उनका लाइसेंस रद्द करवाने की धमकी देते थे।
लखनऊ पीजीआई थाने की पुलिस ने दो फर्जी वाणिज्य कर अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। आरोपित खुद को वाणिज्य कर विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर बता कर दवा की दुकानों पर छापामारी करते थे। इस दौरान दुकानदारों को अदब में लेकर चेकिंग के नाम पर उनसे वसूली करते थे। इंस्पेक्टर पीजीआइ आनंद शुक्ला के मुताबिक आरोपित नीली बत्ती लगी कार से चलते थे। दोनों आरोपितों के पास से फर्जी पहचान पत्र और अशोक स्तंभ का मोनोग्राम बरामद किया गया है।
इंस्पेक्टर ने बताया कि वृंदावन गेट के पास गुरुवार को पुलिस संदिग्ध लोगों और वाहनों की चेकिंग कर रही थी इस दौरान हिमालयन एनक्लेव की तरफ से नीली बत्ती लगी एक कार वहां पहुंची जिसे पुलिसकर्मियों ने रोका पूछताछ करने पर कार में पीछे बैठे एक युवक ने अपना परिचय वाणिज्य कर विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर रितेश उपाध्याय के रूप में दिया। रितेश मूल रूप से सिविल लाइन प्रयागराज का रहने वाला है और यहां हिमालय एनक्लेव वृंदावन योजना में रहता था। शक होने पर कार में मौजूद रितेश के दूसरे साथी प्रयागराज निवासी अखंड प्रताप सिंह से जब कड़ाई से पूछताछ की गई तो फर्जीवाड़ा उजागर हुआ।
रलखनऊ में फर्जी वाणिज्य कर अफसर बन मार रहे थे छापा, पुलिस ने नीली बत्ती लगी कार समेत दो को दबोचापितों ने बताया कि वह दवाई की दुकानों पर छापा मारते थे। इस दौरान महामारी की रोकथाम के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा का स्टॉक चेक करते थे। इसके बाद दवा व्यापारियों पर दबाव बनाकर उनका लाइसेंस रद्द करवाने की धमकी देते थे। यही नहीं व्यापारियों को अदब में लेकर उनसे इंजेक्शन, दवाई, ऑक्सीजन सिलेंडर व मोटी रकम वसूलते थे। आरोपितों ने बताया कि उन लोगों पर कोई शक ना करे। इसके लिए वह कार पर भारत सरकार लिखवाकर अशोक स्तम्भ का मोनोग्राम और नीली बत्ती लगाकर चलते थे।