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RGA news
सरसों के दाम गिर रहे हैं लेकिन तेल का भाव चढ़ रहा है।
आठ जून से ब्लेंडिंग पर रोक लगाने से महंगाई के और बढ़ने के आसार। सरसाेंं के भाव गिरे पर ब्रांडेड तेल के भाव 200 रुपये पार। कागारौल व किरावली मंडी में 6800 रुपये प्रति क्िवटंल के बजाय शुक्रवार को 6500 रुपये प्रति क्िवटंल तक सरसों की नीलामी लगी
आगरा। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा आठ जून से सरसों के तेल पर ब्लेंडिंग की रोक लगाने संबंधी आदेश के बाद तेल बाजार गर्म है। आदेश के मूर्त रूप धारण करने मेे दस दिन शेष है, इसके बाद भी फुटकर बाजार में खुला सरसों का तेल 170 रुपये में मिल रहा है। जबकि ब्रांडेड तेल की कीमत 200 रुपये के भी पार हो रही है। यह स्थिति तब है जब सरसोंं का पिछले चार दिन मेंं लगातार गिर रहे हैंं।
कारोबारी ब्रजमोहन अग्रवाल व दिनेश गोयल के अनुसार पिछले चार माह से सरसों के तेल व रिफाइंड तेल के दाम आसमान छूने लगे हैं। अगर ब्रांड की बात करें तो सरसों तेल 170 रुपये लीटर से लेकर 200 रुपये और उससे भी ज्यादा दाम पर बिक रहा है। ऐसे में शुक्रवार को (एफएसएसएआई) द्वारा आठ जून से सरसों के तेल पर ब्लेंडिंग की रोक लगाने संबंधी आदेश की चर्चाओं के बीच सरसोंं का तेल 170 से 200 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। खेरागढ़ मेंं कागारौल रोड स्थित मंडी व किरावली मंडी में 6800 रुपये प्रति क्िवटंल के बजाय शुक्रवार को 6500 रुपये प्रति क्िवटंल तक सरसों की नीलामी लगी। उन्होंने बताया कि पिछले साल भी एफएसएसएआई ने ब्लेंडिंग पर रोक लगाई थी पर बाद में हाईकोर्ट दिल्ली के हस्तक्षेप पर यह रोक हटी। नतीजा सरसों तेल सस्ता हूआ पर अब एक बार रोक लगने से सरसों तेल महंगा होने की बात से इंकार नही किया जा सकता है।
होती है ब्लेंडिंग
सरसों के तेल में तय मात्रा में अन्य तेलों का सम्मिश्रण होता, जिसे ब्लेंडिंग कहते हैं। तय मात्रा के मुताबिक, अभी तक तेल कंपनियों को सरसों के तेल में 20 फीसदी तक ब्लेंडिंग करने की अनुमति थी। सरकार ने ब्लेंडिंग की आड़ में मिलावट और शुद्ध सरसों तेल की खपत को बढ़ाने का हवाला देते हुए इस पर रोक लगाई है।
ब्लेंडिंग मापने की तकनीक नह
व्यापारियों का कहना है कि यदि छोटा दुकानदार अगर एक तेल में दूसरा तेल मिलाता है, उसे मिलावट के आरोप में कड़ी सजा दी जाती है। वहीं, सरकार उद्योगपतियों को मिश्रण करने की मंजूरी दे रही है। ब्लेंडिंग के तहत मिलाई गई तेल की मात्रा की जांच की कोई तकनीक भी नहीं है।
आगरा बडी मंडी पर जमाखोरी पर विराम नहीं
सरसों के तेल उत्पादन में आगरा देश मे अग्रणी है। आगरा में 66 हजार हेक्टेयर में सरसों का उत्पादन होता है पर मांग अधिक होने के कारण यहां की प्रमुख खेरागढ़ में कागारौल रोड स्थित मंडी व किरावली मंडी में हरियाणा व राजस्थान से बड़ी मात्रा में सरसों की आवक होती है। रोज करीब 500 टन सरसों का तेल उत्पादन करने वाली आगरा आयल मिल, बीपी आयल मिल, शारदा आयल मिल व महेश आयल मिल सीधे हरियाणा व राजस्थान मंडी से सरसों क्रय करते हैं। जनपद में छह ओर आयल मिल के अलावा 200 से अधिक स्प्रेलर है, जिनके द्वारा रोज करीब 100 टन तेल का उत्पादन किया जाता है। खेरागढ़ मे कागारौल स्थित मंडी व किरावली मंडी में रोज करीब दो हजार क्िवटंल सरसों की आवक होती है। इस कारोबार से जुड़े लोगों की माने तो खेरागढ़ में कागारौल रोड स्थित मंडी व किरावली मंडी के आसपास ही बडी मात्रा मे सरसों की जमाखोरी की गई है। यह खेल इन दोनों स्थानों के साथ-साथ जिले में एक दर्जन स्थानों पर ओर चल रहा है। ऐसे ही खेल सरसो के तेल में है। सरसों खरीदने का क्रय केंद्र नहीं है। इसलिए इसका समर्थन मूल्य भी नहीं है। जो फसल आती है उसे नीलामी से बेचते हैं। किरावली में सरसों की लैब में जांच होती है। तेल के आधार पर उस सरसों के दाम निर्धारित होते है। कुल मिलाकर कुछ व्यापारियों ने फसल की जमाखोरी कर ली तो बाजार में सरसों पहुंच नहीं रही है। कम फसल आवक के चलते सरसों का तेल महंगा बिक रहा है।
ऐसे चल रहा खेल
कारोबारियों की मानेंं तो मंडियों में 6500 से लेकर 6800 रुपये क्िवंटल के हिसाब से सरसों की फसल बिक रही है। इस पर छह प्रतिशत जीएसटी और एक प्रतिशत मंडी शुल्क अलग से लगता है। अगर एक ङ्क्षक्वटल सरसों की फसल का तेल निकाला जाए तो 33 किलो तेल निकलता है। दो किलो खल जल जाती है। ऐसे में 65 किलो खल बचती है। थोक के रेट में 165 रुपये किलो तेल बिक रहा है। इस हिसाब से 33 किलो तेल की कीमत 5445 रुपये बनती है। वहीं 65 किलो खल 30 रुपये किलो के हिसाब से 1950 रुपये का बिक रहा है। पेराई 250 रुपये क्िवंटल है। जबकि लोडिंंग- अनलोडिंंग में पांच रुपये किलो का चार्ज लग जाता है। ट्रांसपोर्ट का खर्च अलग से है। यही वजह है कि बाजार में सरसों का तेल महंगा बिक रहा है।