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RGA news
योग और हेल्थी डाइट बच्चों में बढ़ाए रोग प्रतिरोधक क्षमता।
कोरोना काल में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बच्चों की डाइट से लेकर व्यायाम तक के बिंदुओं पर झलकारी बाई महिला अस्पताल की डाइटिशियन श्वेता पाल और महिला पतंजलि योग समिति उप्र-मध्य की राज्य प्रभारी वंदना बरनवाल से खास बातचीत।
लखनऊ बच्चे की इम्युनिटी की नींव गर्भावस्था से ही पड़ने लगती है। लिहाजा गर्भवती को शुरू से ही पोषक तत्वों से युक्त संतुलित आहार लेने की सलाह दी जाती है। खासकर कोरोना काल में बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए क्या उपाय किए जाएं। बच्चों की डाइट से लेकर व्यायाम तक के बिंदुओं पर झलकारी बाई महिला अस्पताल की डाइटिशियन श्वेता पाल और महिला पतंजलि योग समिति उप्र-मध्य की राज्य प्रभारी वंदना बरनवाल से दुर्गा शर्मा ने बातचीत की।
इन बच्चों की इम्युनिटी होती है कमजोर
- समय से पहले जन्मे बच्चों में अकसर रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।
- किसी कारणवश मां का दूध बच्चे को न मिल पाना।
- कुपोषण।
- हाईजीन की कमी।
- जंक फूड्स की अधिकता।
- बच्चों के लिए जरूरी टीके न लगवाना।
- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता बच्चे को माता-पिता से भी मिल सकती है।
बीमारी से बचे रहेंगे बच्चे
- ख जरूरी टीके न लगे होने के कारण भी बच्चे बीमार पड़ते हैं। बच्चों को हर जरूरी टीका अवश्य लगवाएं।
- बच्चे को पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कराएं।
- यह सुनिश्चित करें कि बच्चा पर्याप्त नींद ले रहा है या नहीं। बच्चे को कम से कम नौ घंटे की नींद लेनी चाहिए।
- बच्चे को फिजिकल एक्टिविटी से भी जोड़े रखें।
- खाने से पहले हाथ धोना, बाहर से आने के बाद हाथ-पैर धोना और खुले रखे हुए भोजन से परहेज करना। यह सब अच्छी आदतें बच्चों को बीमार पड़ने से बचा सकती हैं।
इम्युनिटी बूस्टर है मां का दूध
जन्म से लेकर एक साल तक के बच्चों के लिए मां का दूध ही इम्यूनिटी बूस्टर है। मां के दूध में सभी प्रकार के प्रोटीन, शुगर और वसा शामिल होते हैं, जिनकी जरूरत बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इसके अतिरिक्त मां के दूध में पाए जाने वाली सफेद रक्त कोशिकाएं बीमारियों से लड़ने में मदद करती हैं। किसी कारणवश अगर मां बच्चे को अपना दूध नहीं पिला पा रही तो डाॅक्टर से अवश्य बात करें।
डाइट में इन्हें जरूर करें शामिल
दूध से बने प्रोडक्ट दें। खट्टे फल जैसे संतरा। इसके अलावा सेब, पपीता, कीवी, तरबूज, अनार, अनानास और केला आदि जरूर दें। पालक, ब्रोकली, गाजर, टमाटर और गोभी का सेवन भी बेहतर होता है। ड्राई फ्रूट्स में अखरोट, बादाम, मुनक्का, खजूर, अंजीर आदि का सेवन कराएं। रात में सोने से पहले बच्चे को हल्दी वाला दूध जरूर दें। हालांकि, छह महीने तक के बच्चे को फल देने से मना किया जाता है। वहीं, छह महीने से लेकर एक साल तक के बच्चों का डाइट भी अलग होता हैं, अपने डाॅक्टर से बात करके ही डाइट चार्ट तैयार करें।
व्यायाम है जरूरी
कम से कम एक बार व्यायाम करके अच्छे से पसीना बहा लेना जो कि ना सिर्फ बच्चों बल्कि परिवार के सभी सदस्यों के लिए लाभदायक होगा। पसीना बहाने के लिए सबसे बढ़िया उपाय है यौगिक जॉगिंग और सूर्य नमस्कार का अभ्यास। इससे फेफड़े के साथ ही पैर भी मजबूत होते हैं, वजन भी संतुलित रहता है।
कुछ आसान से आसन और प्राणायाम
व्यायाम के अतिरिक्त यदि बच्चों को पांच प्रकार के आसन और पांच प्रकार के प्राणायाम भी करने की आदत डाली जाए तो यह कोरोना से बचाव में मददगार साबित होगा-
पांच प्राणायाम
सबसे पहले भस्त्रिका प्राणायाम आता है जिसमें तेज गति से सांस लेना और छोड़ना होता है। इसको कम से कम तीन से पांच मिनट अवश्य करने का अभ्यास डालें। इसके बाद 15-15 मिनट कपालभाति और अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास बच्चों को करवाना चाहिए। अंत में पांच-पांच बार भ्रामरी और उद्गीथ प्राणायाम का अभ्यास।
पांच आसन
गोमुखासन- इस आसन को करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है। साथ ही रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और शरीर लचकदार बनता है।
भुजंगासन - यह आसन शरीर को सुडौल बनाने के साथ ही पेट की चर्बी भी कम करता है। साथ ही यह कमर दर्द में भी काफी लाभदायक है।
शीर्षासन- शीर्षासन रोगप्रतिरोधक क्षमता के साथ स्मरण शक्ति और एकाग्रता भी बढ़ाता है। जो बच्चे शीर्षासन नहीं कर सकें वे सर्वांगासन कर सकते हैं, लाभ दोनों के लगभग एक जैसे ही हैं।
ताड़ासन: इससे पीठ की दर्द में राहत तो मिलती है साथ ही यह आसन बच्चों की लंबाई बढ़ाने में मदद करती है और मानसिक जागरूकता बढ़ाती है।
पश्चिमोत्तानासन - इस आसन को करने से पाचन में सुधार होता है।