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शिमला के आइजीएमसी में शुक्रवार को ब्लैक फंगस से पीड़ित 2 मरीजों ने दम तोड़ा।
ब्लैक फंगस से भी लोगों की जान जा रही है।शिमला के आइजीएमसी में शुक्रवार को ब्लैक फंगस से पीड़ित 2 मरीजों ने दम तोड़ा। हमीरपुर व सोलन जिला के रहने वाले दो पुरुष मरीजों ने अस्पताल में ब्लैक फंगस के गंभीर संक्रमण के चलते अपनी जान गवाई।
शिमला प्रदेश भर में जहां कोरोना का कहर लगातार जारी है वहीं ब्लैक फंगस से भी लोगों की जान जा रही है।शिमला के आइजीएमसी में शुक्रवार को ब्लैक फंगस से पीड़ित 2 मरीजों ने दम तोड़ा। हमीरपुर व सोलन जिला के रहने वाले दो पुरुष मरीजों ने अस्पताल में ब्लैक फंगस के गंभीर संक्रमण के चलते अपनी जान गवाई। अस्पताल के एमएस डॉ जनक राज ने इसकी पुष्टि की है।
उनका कहना है कि दोनों मरीजों में ब्लैक फंगस की बीमारी ब्रेन तक पहुंच गई थी और उन्हें डायबिटीज कीटोआडोसिस की बीमारी थी। हमीरपुर के रहने वाले 38 वर्षीय मरीज वीरवार को अस्पताल में दाखिल किए गए थे वही सोलन के रहने वाले 49 वर्षीय मरीज को 22 मई के दिन ब्लैक फंगस के लक्षणों के चलते दाखिल किया गया था। सोलन वाले मरीज के चेहरे पर ब्लैक फंगस पाया गया था। इसके अलावा अस्पताल में मौजूदा समय में ब्लैक फंगस के 2 मरीज दाखिल है। यह दोनों मरीज हमीरपुर और सोलन से ही संबंध रखते हैं। बताया जा रहा है कि यह बीमारी पहले से गंभीर अवस्था के मरीजों के लिए घातक है।
ब्लैक फंग्ास के हैं तीन चरण
ब्लैक फंगस 3 स्टेज में पाया जाता है। पहली स्टेज में नाक बंद होना, नाक बहना, नाक से खून निकलना, चेहरे में दर्द होना, सीने में दर्द होना लक्षण सामने आते हैं। दूसरे स्टेज में यह बढ़ते बढ़ते आंख में जाता है और देखने में परेशानी आ सकती है। चेहरे में सूजन होना, सिर में दर्द रहना जैसी दिक्कतें पेश आती है, जबकि तीसरी स्टेज में चेहरे पर काले निशान पड़ते हैं और फंगस दिमाग तक पहुंच जाता है। यदि समय रहते मरीज को उचित इलाज नहीं मिला, तो मरीज की जान खतरे में पड़ सकती है। प्रशासन ने लोगों से डरने नहीं बल्कि जागरूक रहने की अपील की है।