लखनऊ की गोमती नदी में गिर रहे ठोस अपशिष्ट को जाल लगाकर रोक जाएगा, सात नालों में होगा रेमिएडेशन तकनीक का प्रयोग

Praveen Upadhayay's picture

RGA news

नगर विकास मंत्री ने गोमती नदी में जलकुंभी हटाने के अभियान को देखा।

अब लखनऊ की गोमती नदी में गिर रहे सात नालों का पानी अब बायो रेमिएडेशन तकनीक से शोधित किया जाएगा। आगरा और मथुरा में इस तकनीक का उपयोग हो रहा है। इसमें बिना एसटीपी के ही केमिकल और वैक्टीरिया से पानी का शोधन हो जाता है

लखनऊ गोमती नदी में गिर रहे सात नालों का पानी अब बायो रेमिएडेशन तकनीक से शोधित किया जाएगा। आगरा और मथुरा में इस तकनीक का उपयोग हो रहा है। इसमें बिना एसटीपी के ही केमिकल और वैक्टीरिया से पानी का शोधन हो जाता है। इसमें वे नाले हैं, जो गोमती में गिर रहे हैं। सात बड़े नाले जैसे कि बरिकलां, फैजुल्लागंज में दो सहारा सिटी, गोमती नगर ड्रेन, गोमती नगर विस्तार ड्रेन और घैला का नाला है।

शुक्रवार को गोमती नदी में जलकुंभी हटाने के अभियान की हकीकत पता करने गए नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन 'गोपालÓ ने कहा कि गोमती नदी में वर्तमान समय सात नालों का पानी एसटीपी में नहीं जा रहा है और वे सीधे गोमती में ही गिर रहे हैं। इन सात नालों में रेमिएडेशन तकनीक का उपयोग किया जाए, जिसका टेंडर हो गया और अब जल्द से जल्द काम चालू किया जाए।

मंत्री ने महापौर संयुक्ता भाटिया और नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी के साथ गोमती बैराज से पीपे वाले पुल तक गोमती नदी का निरीक्षण किय। मंत्री ने गोमती बैराज से लेकर हनुमान सेतु तक सफाई पर संतोष जताया और झूलेलाल से लेकर पक्का पुल तक जलकुंभी को हटाने के निर्देश दिए गए। मंत्री ने कुडिय़ाघाट तथा किनारे पर नदी की सफाई के निर्देश दिए। मंत्री ने कहा कि पीपेवाले पुल के पास से भी जलकुंभी को हटाया जाए, जिससे कुडिय़ाघाट तक जलकुंभी और वहां आ रही गंदगी को रोका जा सके। नदी में नगर निगम की सीमा पर जाल लगाकर आने वाली जलकुंभी को रोका जाए। मंत्री ने बताया कि गोमती नदी से पूरी तरह से जलकुंभी हटाने में 10 दिन का और समय लगेगा।

मंत्री ने कहा कि नदी में गिरने वाले नालों पर जाल लगाकर आने वाले ठोस अपशिष्ट को रोका जाए। मंत्री ने कहा कि सरकटा नाले की सफाई ठीक से कराते हुए उसमे पूरी जाली लगाई जाए। मंत्री को निरीक्षण में आधी जाली लगी मिली थी।

News Category: 
Place: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.