टीके के प्रभाव को लेकर रहें निश्चिंत, हर व्यक्ति का जेनेटिक स्ट्रक्चर अलग होने से समान प्रभाव नहीं

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सबके शरीर का जिनोमिक स्ट्रक्चर अलग होता है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद संक्रमण की दर केवल 0.02 फीसद है यानी इतने फीसद में ही गंभीर संक्रमण की आशंका है। भारत में उपलब्ध दोनों कोवैक्सीन या कोविशील्ड एकदम सुरक्षित हैं।

लखनऊ,कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी कुछ लोग गंभीर रूप से संक्रमित हुए। कुछ लोगों की मौत भी हुई, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वैक्सीन कारगर नहीं है। तमाम लोगों के मन में सवाल भी उठ रहा है कि वैक्सीन की दोनों डोज के बाद भी गंभीर संक्रमण क्यों हुआ? इस बारे में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के सहायक प्रो. तन्मय घटक कहते हैं कि दूसरी लहर में देखने में आ रहा है कि वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद बहुत कम फीसद लोग गंभीर रूप से संक्रमित हुए

सरकारी आंकड़ों के अनुसार वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद संक्रमण की दर केवल 0.02 फीसद है, यानी इतने फीसद में ही गंभीर संक्रमण की आशंका है। भारत में उपलब्ध दोनों कोवैक्सीन या कोविशील्ड एकदम सुरक्षित हैं। टीका लेने के बाद संक्रमण होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इस पर आगे शोध की जरूरत है। प्रो. तन्मय कहते हैं कि आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोध से पता चला है कि 12 सप्ताह के बाद में दूसरी खुराक बहुत अधिक प्रभावकारी है, लेकिन भारत में अधिकांश को वैक्सीन की दूसरी खुराक जल्दी मिली है, शायद इसकी वजह से सुरक्षा मजबूत नहीं थी। सबके शरीर का जिनोमिक स्ट्रक्चर अलग होता है।

के अलावा संभव है कि दोनों डोज लगने के बाद एंटीबाडी शीघ्र नहीं बनी या एंटीबाडी समुचित मात्रा में नहीं बनी या जो न्यूट्रलाइजि‍ंग एंटीबाडी चाहिए वो नहीं बनी या तीसरी संभावना है कि वायरस का नया स्ट्रेन इन एंटीबाडी को अनदेखा कर गया और संक्रमण गंभीर हो गया। यह भी संभव है कि उन्हें पहले से कोई दूसरी परेशानी रही हो, जिसके कारण कोरोना संक्रमण के बाद तेजी से बढ़ा हो।

वैक्सीन के कारण ही फ्रंट लाइन कर्मी दे पाए सेवा

प्रो. तन्मय कहते है कि वैक्सीनेटेड होने के कारण ही बड़ी संख्या में स्वास्थ्य कर्मी एवं फ्रंटलाइन कर्मी भयमुक्त होकर कोविड प्रभावित मरीजों की देखभाल कर पाए। इसलिए टीका सुरक्षित है। इसको लेने में किसी प्रकार की लापरवाही करने की जरूरत नहीं है।

वैक्सीन के ट्रायल में भी 20-25 फीसद लोगों को हुआ था संक्रमण

जब वैक्सीन के फेज थ्री के ट्रायल हुए थे उस वक्त मुख्य मुद्दा आया था कि जिनको वैक्सीन लगी थी, उनको भी कोरोना इन्फेक्शन हुआ था। ऐसा नहीं है कि वैक्सीन लगने के बाद किसी को कोरोना इन्फेक्शन नहीं हुआ। 20-25 फीसद लोगों को कोरोना इन्फेक्शन हुआ था। ट्रायल में वालंटियर ग्रुप में इन्फेक्शन माइल्ड था। उस ग्रुप में लोगों को हास्पिटल की, आइसीयू की या वेंटिलेटर की आवश्यकता कम पड़ी थी, किसी की मृत्यु भी नहीं हुई थी।

दोनों डोज लगाने के बाद 80 फीसद तक है बचाव

दूसरी लहर आने तक लोग समझते थे कि वैक्सीन 100 फीसद कारगर है, इसलिए वे लापरवाह थे। हम अभी भी दूसरी लहर में वैक्सीन के बाद ब्रेकथ्रू संक्रमण के आंकड़ों को एकजुट कर रहे हैं। हमें टीकाकरण के बाद के संक्रमण के और अधिक मजबूत आंकड़े एकत्र करने की जरूरत है। महामारी को हराने का एकमात्र तरीका है, विशेष रूप से बड़े पैमाने पर टीकाकरण है

रखें इन बातों का ध्यान

ध्यान रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक टीका तत्काल सुरक्षा की गारंटी नहीं देता है। पहला डोज लगने से आप खुद को सुरक्षित ना मानें। दूसरी डोज के दूसरे हफ्ते से एंटीबाडी आ गई होंगी, ऐसा माना जाता है। इसके बाद भी मास्क, सोशल डिस्टेंङ्क्षसग, बंद जगहों पर इक_ा ना होना और हैंड हाइजीन का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।  

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