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ब्लैक फंगस से भी ठीक हो रहे मरीज।
ब्लैक फंगस बेशक भयावह संक्रमण है लेकिन वक्त पर बीमारी पकड़ने से पूरी तरह इलाज किया जा सकता है। मेडिकल कालेज से लेकर निजी अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज ठीक होकर घर पहुंचे हैं। दवाओं के संकट के बीच आपरेशन काफी कारगर साबित हुआ।
मेरठ ब्लैक फंगस बेशक भयावह संक्रमण है, लेकिन वक्त पर बीमारी पकड़ने से पूरी तरह इलाज किया जा सकता है। मेडिकल कालेज से लेकर निजी अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज ठीक होकर घर पहुंचे हैं। दवाओं के संकट के बीच आपरेशन काफी कारगर साबित हुआ। मरीजों की साइनस में पहुंचे फंगस को निकालकर आंख की रोशनी और जान बचा ली गई। मेडिकल कालेज में भी कई मरीज ठीक होकर निकल गए हैं।
मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. ज्ञानेंद्र ने बताया कि ब्लैक फंगस के अब तक 112 मरीज पहुंच चुके हैं। दो वार्ड बनाकर मरीजों का इलाज किया गया। एंफोटेरिसिन बी एवं पोसोकोनोजेन नामक दवाओं से 25 मरीजों को ठीक कर घर भेजा गया। हालांकि ईएनटी विभाग कई मरीजों का वक्त पर आपरेशन नहीं कर पाया और कइयों की स्थिति गंभीर हो गई। पांच मरीजों का आपरेशन किया गया, जिसमें ज्यादातर ठीक भी हुए।
आनंद अस्पताल के ईएनटी सर्जन डा. पुनीत भार्गव ने कहा- दूरबीन विधि से अब तक 17 मरीजों का आपरेशन कर चुका हूं, जो ठीक भी हो गए। तकरीबन सभी में शुगर, कोरोना एवं स्टेरायड की हिस्ट्री मिली है। नाक में दूरबीन डालकर तीन मशीनों की मदद से आपरेशन किया जा रहा है।
विभागाध्यक्ष डा. वीपी सिंह ने कहा- मेडिकल में 20 से ज्यादा मरीज दवा से ठीक हो गए। अब तक 10 का आपरेशन किया गया है। दूरबीन विधि से नाक में नली डालकर मानीटर पर देखते हुए आपरेशन हो रहा है। ब्लैक फंगस खतरनाक है, असाध्य नहीं है।
मरीजों का कहना है
सतीशचंद्र- मैं 14 मई को मेडिकल में भर्ती हुआ। फंगस की दवाएं नियमित रूप से मिलीं,और डाक्टरों ने ध्यान दिया। मेरी नाक व सिर में तेज दर्द होने लगा था। शुक्रवार को डिस्चार्ज हो गया। ब्लैक फंगस को हराने में सफलता मिल गई।
सरोज शर्मा, गाजियाबाद- आठ दिन पहले मैक्स अस्पताल में इंडोस्कोपी व एमआरआइ से ब्लैक फंगस डाइग्नोस हुई। फंगस नाक में था। डाक्टर की सलाह पर पोसोकोनोजोल खोजा। नहीं मिली। आपरेशन कराने के लिए मेरठ लाया गया। ईएनटी सर्जन डा. पुनीत भार्गव ने आपरेशन किया और अब मेरी तबीयत ठीक है। आखिरकार फंगस हार गया।
शक्ति सिंह- मेरे पिता शक्ति सिंह निवासी रानी नांगला को पहले छाती में संक्रमण था। बाद में आंखों में सूजन और दर्द उभरा। 11 को भर्ती कराया। दवाओं का संकट था। आनंद में भर्ती कर 14 को आपरेशन किया गया। आपरेशन सफल रहा, और पिता की आंख व जबड़ा बच गया। समय पर इलाज से यह ठीक हो जाता है।