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कारगिल युद्ध में खुद घायल होने के बाद भी दुष्मनों को मारते हुए आगे बढ़ रहे थे मेजर राजेश अधिकारी
Major Rajesh Singh Adhikari death anniversary 1999 में हुए कारगिल युद्ध ने इतिहास में अलग दर्जा हासिल किया है। कुमाऊं के 74 जाबांजों ने इस युद्ध में अपने प्रणों की आहूति देकर राज्य को गौर्वान्वित कर देश की सीमओं को सुरक्षित किया था।
नैनीताल : 1999 में हुए कारगिल युद्ध ने इतिहास में अलग दर्जा हासिल किया है। कुमाऊं के 74 जाबांजों ने इस युद्ध में अपने प्रणों की आहूति देकर राज्य को गौर्वान्वित कर देश की सीमओं को सुरक्षित किया था। देश के लिए बलिदान देने वाले इन्हीं वीर योद्धाओं में शामिल थे नैनीताल निवासी स्व. मेजर राजेश सिंह अधिकारी। आज उनका बलिदान दिवस है। युद्ध के दौरान मेजर ने जिस तरह से रणभूमि में मोर्चा संभाला उनके शैर्य के किस्से आज भी वीरभाव से सुनाए जाते हैं। दुश्मन फौज के कई जवानों को ढेर कर उनके बंगरों पर कब्जा करने वाले मेजर राजेश अधिकार को मरणोपरांत एक जनवरी 1999 को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया
सन 1999 में कारगिल युद्ध शुरू हो गया। इसी बीच मेजर अधिकारी को ऑपरेशन के लिए कारगिल भेजा गया। उस ओपरेशन के लिए मेजर अधिकारी अपनी कंपनी की अगुआई कर रहे थे, तभी दुश्मन ने उन पर दोनों तरफ से मशीनगनों से भीषण हमला किया। मेजर अधिकारी ने तुरंत अपनी रॉकेट लांचर टुकड़ी को दुश्मन को उलझाए रखने का निर्देश दिया और दुश्मन के दो सैनिकों को मार डाला। इसके बाद मेजर अधिकारी ने धीरज से काम लेते हुए अपनी मीडियम मशीनगन टुकड़ी को एक चट्टान के पीछे मोर्चा लेने और दुश्मन को उलझाए रखने को कहा, और अपनी हमलावर टीम के साथ एक-एक इंच आगे बढ़ते रहे।
दुश्मन की उपस्थिति में असाधारण वीरता व उत्कृष्ट नेतृत्व का प्रदर्शन
मोर्चा लेने के दौरान ही मेजर अधिकारी दुश्मन की गोलियों से गंभीर रूप से घायल हुए, फिर भी वह अपने सैनिकों को निर्देशित करते रहे और वहां से हटने से मना कर दिया। उन्होने दुश्मन के दूसरे बंकर पर हमला किया और वहाँ काबिज सैनिक को मार गिराया। उन्होने तोलोलिंग ऑपरेशन में दो बंकरों पर कब्जा किया जो बाद में प्वाइंट 4590 को जीतने में मददगार साबित हुए। अंतत: मेजर ने देश की आन, बान, शान के लिए बलिदान दे दिया। मेजर राजेश सिंह अधिकारी ने भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं को कायम रखते हुए दुश्मन की उपस्थिति में असाधारण वीरता व उत्कृष्ट नेतृत्व का प्रदर्शन किया। उन्हे मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
1993 में मेजर को मिला था सेना में कमीशन
राजेश सिंह अधिकारी का जन्म 25 दिसंबर 1970 को नैनीताल में हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा सेंट जोसेफ़स कॉलेज से 1987 में हुई और माध्यमिक शिक्षा गवर्मेंट इंटर कॉलेज नैनीताल से। उन्होंने बीएससी कुमाऊँ यूनिवर्सिटी, नैनीताल से किया। शुरुआत से ही सेना के प्रति राजेश का जो जब्जा था वो उन्हें प्रतिष्ठित भारतीय सैन्य अकादमी में ले आया और 11 दिसंबर 1993 को मेजर राजेश सिंह अधिकारी भारतीय सैन्य अकादमी से ग्रेनेडियर में कमिशन हुए।