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Bajrang Punia ओलंपिक खेलों की तैयारियों में जुटे हुए हैं।
भारत के धाकड़ पहलवान बजरंग पूनिया की निगाहें अब देश को ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल दिलने पर हैं। इसके लिए वे जमकर तैयारियां कर रहे हैं और उनके पिता को भी यकीन है कि उनका बेटा देश के लिए ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक लेकर आएगा
झज्जर। भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया के खाते में ढेरों अंतरराष्ट्रीय पदक हैं, लेकिन अब उनका मकसद टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक हासिल करना है। 26 फरवरी 1994 को जन्मा झज्जर के खुड्डन गांव की मिट्टी का यह लाल अपने इस मकसद को पूरा करने के लिए जी-जान से जुटा है। बजरंग इन दिनों बेंगलुरु में कैंप में विदेशी कोच शाको बेंदिनाइटिस की देखरेख में पसीना बहा रहे हैं। विदेशी कोच व फिजियो उनके साथ ही रहते हैं। अभ्यास में शारीरिक फिटनेस पर ध्यान देने के साथ-साथ बजरंग मुकाबलों के दौरान सांस पर नियंत्रण रखने के लिए विशेष ध्यान दे रहे हैं।
लॉकडाउन की वजह से बजरंग की प्रैक्टिस पर मार्च 2020 में तब ब्रेक लग गया था जब साई सेंटर में चल रहा राष्ट्रीय कैंप स्थगित कर दिया गया। इस कारण वह कई दिन तक घर पर ही रहे। उन्होंने घर में ही प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। अभ्यास के दौरान कोई खलल ना पड़े, इसलिए बजरंग अपने पास फोन भी नहीं रखते। परिवार से बातचीत के लिए भी समय तय है। बजरंग पांच जून को घर आएंगे क्योंकि यहां से उन्हें पोलैंड में एक कुश्ती स्पर्धा में हिस्सा लेने के लिए जाना है।
पिता को यकीन, बेटा स्वर्ण जीतेगा
बजरंग के पिता बलवान पूनिया को 100 फीसद भरोसा है कि इस बार बेटा ओलंपिक में स्वर्ण पदक लेकर आएगा। वह बताते हैं कि 2005 में बजरंग को छारा गांव के लाला दीवानचंद अखाड़े में दाखिल कराया था। यह अखाड़ा घर से करीब 35 किमी दूर था। बजरंग का दिन सुबह तीन बजे शुरू होता था और आज भी