Pollution At Tajmahal: ताजमहल पर बढ़ गया धूल कणों का हमला, एयर एक्‍शन प्‍लान अब तक हवा में

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RGA news

ताजमहल पर धूल कणों का हमला जारी है और इसे रोकने के लिए एयर एक्‍शन प्‍लान लागू नहीं हुआ है।

वर्ष 2019 व 2020 की अपेक्षा 2021 में अधिक मात्रा हुई दर्ज। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट से स्थिति हुई उजागर। हवा के साथ उड़कर धूल कण ताजमहल की सतह पर पहुंचते हैं और वहां एकत्र हो जाते हैं। इससे ताजमहल की सुंदरता प्रभावित होती है

आगरा। दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल को धूल कणों से बचाने की योजनाएं ताजनगरी में उम्मीदों पर खरी उतरती नजर नहीं आ रही हैं। वर्ष 2019 व 2020 की अपेक्षा 2021 में जनवरी से अप्रैल तक ताजमहल पर धूल कणों की मात्रा में वृद्धि हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा ताजमहल स्थित मानीटरिंग स्टेशन पर एकत्र आंकड़ों के आधार पर जारी रिपोर्ट चौंकाने वाली है।

सीपीसीबी द्वारा शहर में चार मानीटरिंग स्टेशनों पर वायु प्रदूषण की मानीटरिंग की जाती है। इनमें ताजमहल, एत्माद्दौला, रामबाग और नुनिहाई शामिल हैं। ताजमहल की पश्चिमी दीवार में शौचालय के पास बनी बुर्जी में सीपीसीबी ने वायु प्रदूषण की जांच को उपकरण लगा रखे हैं। सीपीसीबी ने हाल ही में चारों मानीटरिंग स्टेशनों की जनवरी से अप्रैल तक के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट तैयार की है। इसके अनुसार सल्फर डाइ-आक्साइड और नाइट्रोजन डाइ-आक्साइड तो मानक के अनुरूप रहीं, लेकिन अति सूक्ष्म कणों (पीएम2.5), धूल कणों (पीएम10) और श्वसनीय निलंबित कणों (एसपीएम) की मात्रा में पिछले दो वर्ष की अपेक्षा वृद्धि दर्ज की गई है। धूल कण तो मानक के तीन गुना से भी अधिक रहे हैं। वर्ष 2020 में लाक डाउन के चलते अप्रैल में मानीटरिंग स्टेशन बंद रहे थे, जिससे उस अवधि के वायु प्रदूषण के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं

सीपीसीबी के प्रभारी अधिकारी कमल कुमार ने बताया कि वर्ष 2021 में वर्ष 2019 की अपेक्षा ताजमहल पर अति सूक्ष्म कणों की मात्रा में गिरावट की वजह बंदी के चलते वाहनजनित प्रदूषण में गिरावट अाना है। निर्माण कार्यों में मानकों का पालन नहीं करने, कूड़ा जलाने, चूल्हा जलाना आदि पर रोक नहीं लग पा रही है, जिसके चलते धूल कणों व श्वसनीय निलंबित कणों की मात्रा में कोई कमी नहीं हाे रही है।

धूल कणों से ताजमहल को होता है नुकसान

हवा के साथ उड़कर धूल कण ताजमहल की सतह पर पहुंचते हैं और वहां एकत्र हो जाते हैं। इससे ताजमहल की सुंदरता प्रभावित होती है और वो पीले रंग का नजर आने लगता है। इसे साफ करने को बार-बार मडपैक ट्रीटमेंट (मुल्तानी मिट्टी का लेप) भी नहीं किया जा सकता है। वहीं, धूल कणों से उसके संगमरमर का क्षरण भी होता है।

हवा में एयर एक्शन प्लान

ताजनगरी में वायु गुणवत्ता सुधार के लिए एक जून, 2019 को एयर एक्शन प्लान लांच किया गया था। प्लान पर आज तक उचित तरीके से संबंधित विभाग अमल नहीं करा सके हैं, जिससे यहां वायु गुणवत्ता में किसी तरह का सुधार होता नजर नहीं आ रहा है। पर्यावरणविद डा. शरद गुप्ता कहते हैं कि आगरा में पर्यावरण सुधार को योजनाएं और डीपीआर तो खूब बनाई जाती हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं किया जाता है। एयर एक्शन प्लान का हश्र सबके सामने है। दो वर्षों में इस दिशा में कुछ खास काम नहीं हो सका है।

ताजमहल पर प्रदूषक तत्वों की स्थिति

वर्ष, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम

जनवरी

2019, 5, 26, 191, 267, 366

2020, 7, 22, 159, 196, 257

2021, 4, 18, 188, 216, 291

फरवरी

2019, 5, 18, 122, 164, 285

2020, 5, 22, 107, 156, 239

2021, 5, 23, 116, 179, 308

मार्च

2019, 6, 20, 74, 143, 271

2020, 4, 19, 65, 105, 193

2021, 4, 22, 71, 187, 411

अप्रैल

2019, 5, 18, 64, 168, 354

2020, -, -, -, -, -

2021, 4, 36, 59, 216, 402

वार्षिक मानक

एसओटू: 20 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर

एनओटू: 30 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर

पीएम2.5: 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर

पीएम10: 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर

 

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