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तीन तलाक की आड़ लेकर मुस्लिम महिलाओं पर उनके शौहर ने ऐसा जुल्म ढाया है कि उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई। तलाक के बाद साथ रखने के नाम पर महिलाओं का कहीं उसके ससुर से हलाला कराया गया तो कहीं पति के दोस्त से। एक केस में तो दुकान के मालिक से ही उसके पति ने जबरन हलाला करा दिया। सभी मामलों में पति ने हलाला के बाद निकाह कर फिर से महिलाओं को तलाक दे दिया।
रविवार को तीन तलाक पीड़ित महिलाओं ने अपने ऊपर हुए जुल्मों की आपबीती मीडिया को बताई। जुल्मों से तंग इन महिलाओं ने अब मुस्लिम महिला काजी की डिमांड कर दी है। आला हजरत हेल्पिंग सोसाइटी की अध्यक्ष निदा खान ने रविवार को शाहदाना रोड स्थित अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में किला रोड निवासी तलाक पीड़िता शबीना ने बताया कि मोहल्ला बानखाना निवासी वसीम हुसैन के साथ 2009 में उसका निकाह हुआ था। बच्चे नहीं होने पर शौहर ने 2011 में उसे तलाक दे दी। शबीना ने मुकदमा किया तो ससुराल के लोगों ने फिर से निकाह करने का दबाव बनाया। हलाला करने के लिए रजामंदी बनी और ससुर जमील हुसैन से शबीना का हलाला करा दिया गया। इसके कुछ दिनों बाद वसीम हुसैन ने फिर से शबीना से निकाह किया और उसे तलाक दे दी। पीड़िता ने बताया कि ससुर से पहले शौहर ने अपने भाई के साथ हलाला कराने की शर्त रखी थी।
बानखाना निवासी निशा की कहानी भी कुछ ऐसी है। 1999 में अनवार से उसका निकाह हुआ। 2009 में तलाक दे दी गई। फिर से अपनाने के लिए अनवार ने अपने दोस्त से उसका हलाला करा दिया। फिर निकाह किया और तलाक देकर छोड़ दिया।
तलाक पीड़िता निदा खान ने कहा कि तमाम महिलाओं की लड़ाई लड़ी जा रही है। हलाला और बहुविवाह के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। इस बार हम लोग महिला काजी होने के लिए पहल करेंगे। मुस्लिम महिलाएं किस को अपना दर्द सुनाए, इसलिए महिला काजी का होना जरूरी है।