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योगी सरकार ने सत्ता संभालते ही गोवंश के कटान पर प्रभावी ढंग से पाबंदी लगाई। नतीजा, सड़क और जंगल में आवारा गोवंश की भरमार हो गई। आवारा गोवंश की बढ़ती संख्या को लेकर लखनऊ तक शिकायतें पहुंचीं। अब गोवंश आवारा घूमता नजर नहीं आएगा। सरकार ने बुंदेलखंड के सात जिलों को छोड़ बाकी सभी जिलों में गो संरक्षण केंद्र बनाने के लिए बजट जारी कर दिया है। एक गो संरक्षण केंद्र पर 1.20 करोड़ की रकम खर्च होगी। पहली किस्त के तौर पर 50-50 लाख की रकम भेजी गई है। बरेली प्रशासन ने जमीन की तलाश शुरू कर दी है।
आवारा और निराश्रित गोवंश की देखभाल के लिए कई महीने से योगी सरकार योजना तैयार कर रही थी। जिसपर अब अमल शुरू हुआ है। प्रदेश सरकार ने 68 जिलों में उत्तर प्रदेश विधायन एवं निर्माण सहकारी संघ लिमिटेड (पैकेफेड) को गो संरक्षण केंद्र बनाने की जिम्मेदारी दी है। गो संरक्षण केंद्र में पशुओं की देखभाल का पूरा इंतजाम होगा। गोवंश के रहने से लेकर उपचार तक व्यवस्था संरक्षण केंद्र में ही होगी। शासन के पैकफेड से तुरंत गो संरक्षण केंद्रों की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) देने को कहा है। ताकि संरक्षण केंद्रों का निर्माण शुरू कराया जा सके। सरकार ने पशुपालन विभाग को गो संरक्षण केंद्र का नोडल बनाया है। संचालन की जिम्मेदारी पशुपालन विभाग की होगी।