कोरोनाकाल में अभी तक 823 कैदियों को बेल व पैरोल पर किया रिहा

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RGA news

देश की जेलों में इस समय परनिर्धारित क्षमता से कहीं अधिक कैदी बंद हैं।

प्रदेश सरकार ने जेलों में कोरोना संक्रमण के असर को देखते हुए अभी तक कुल 823 कैदियों को पैरोल व बेल पर रिहा कर दिया है। इनमें 138 सिद्ध दोष बंदियों को पैरोल और 685 विचाराधीन कैदियों को बेल दी गई 

 देहरादून: प्रदेश सरकार ने जेलों में कोरोना संक्रमण के असर को देखते हुए अभी तक कुल 823 कैदियों को पैरोल व बेल पर रिहा कर दिया है। इनमें 138 सिद्ध दोष बंदियों को पैरोल और 685 विचाराधीन कैदियों को बेल दी गई है। प्रदेश की जेलों में इस समय परनिर्धारित क्षमता से कहीं अधिक कैदी बंद हैं। प्रदेश की कुल 13 जेलों में 3500 कैदियों को रखने की क्षमता है।

इसके सापेक्ष प्रदेश में 5500 से अधिक कैदी बंद हैं। स्थिति यह है कि जेलों की हर बैरक में निर्धारित क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं। इन कैदियों में कोरोना संक्रमण बढऩे की आशंका बनी हुई है। हाई कोर्ट ने इसी आशंका को लेकर दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए शासन को कैदियों को पैरोल देने काे कहा। दरअसल, वर्ष 2020 में भी कोरोना संक्रमण को देखते हुए तकरीबन 845 बंदियों की पैरोल व बेल स्वीकृत की गई थी। इनमें से 699 बंदी ही पैरोल या अंतरिम जमानत पर जा पाए थे। इस वर्ष कोर्ट के निर्णय के क्रम में जेल प्रशासन ने पहले चरण में 46 सिद्धदोष बंदियों को पैरोल दी। ये वे कैदी थे जो बीते वर्ष पैरोल पर बाहर नहीं जा पाए थे। इसके बाद कैदियों की रिहाई को लेकर बनाई गई समिति ने 106 सिद्धदोष बंदियों की रिहाई की सिफारिश की, लेकिन शासन से इनमें से 92 को पैरोल देने की मंजूरी दी गई। इस प्रकार अब तक कुल 138 सिद्ध दोष बंदी रिहा किए जा चुके हैं। दरअसल बंदियों को पैरोल देने के लिए मानक तय हैं।

इसके अनुसार केवल उन्हीं बंदियों को 90 दिनों के लिए पैरोल पर छोड़ा जा सकता है, जिनकी सजा सजा सात साल से कम है। औपचारिकता पूरी करने के बाद ही बंदियों को पैरोल दी जाती है।पुलिस महानिरीक्षक जेल एपी अंशुमान ने बताया कि सिद्धदोष बंदियों के अलावा 685 विचाराधीन कैदियों को भी बेल दी गई है। इसके अलावा कुछ अन्य कैदियों को भी बेल व पैरोल देने पर विचार किया जा रहा है।

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