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त्रिवेणी बाबा ने पौधा रोपण को संस्कारों से जोड़ नई मिसाल कायम की है।
मिलिए भिवानी के त्रिवेणी बाबा से। देश भर में त्रिवेणी बाबा की लगाई हजारों त्रिवेणी जीवनदायिनी बनी। बाबा का 26 साल पहले लिया संकल्प अभी फलीभूत हो रहा। अब तक 50 हजार त्रिवेणी और 40 लाख पौधे लगा चुके हैं।बाबा का एक करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य ह
भिवानी त्रिवेणी बाबा एक ऐसी शख्सियत जिनका जान पौधों में बसती है। जब तक हर रोज अपने हाथ से पौधा नहीं लगा लेते इनको चैन नहीं पड़ता। यह सिलसिला पिछले 26 साल से जारी है। पौधागिरी के अपने शौक को इन्होंने सबसे पहले वर्ष 1994 में गांव सरल के शमशान घाट से शुरू किया। इसके बाद तो इन्होंने पूरे देश भर में पौधा रोपण अभियान चलाया। इन्होंने पौधे लगाने के अभियान को संस्कारों से जोड़ा और अब घर परिवार में कोई खुशी का मौका हो या गम का लोग पौधे जरूर लगाते हैं। न केवल लगाते हैं बल्कि उनका संरक्षण भी करते हैं।
एक करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य
बाबा का नाम त्रिवेणी बाबा यूं ही नहीं पड़ा। इन्होंने अपने अभियान की शुरुआत गांव सरल के शमशान घाट में त्रिवेणी लगा कर वर्ष 1994 में किया था। इसके बाद तो हरियाणा प्रदेश का कोई गांव बाकी नहीं है जहां इन्होंने एक से 100 त्रिवेणी न लगाई हों। गांव ही नहीं इन्होंने चंडीगढ़, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूंह आदि के अलावा मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि अनेक राज्यों मेंं इन्होंने त्रिवेणी लगाई हैं। अब तक ये 40 लाख पौधे लगा चुके और एक करोड़ पौधे लगाने का इनका लक्ष्य है।
रीति रिवाजों से जोड़ कर मुहिम को पहुंचाया घर-घर
बाबा कहते हैं कि हरियाली ही जीवन है। हरियाली से ही जीवन हराभरा रह सकता है। जितने ज्यादा पौधे होंगे लोगों का जीवन स्वस्थ होगा। हमने पौधागिरी का अभियान रिती रिवाजों और संस्कारों से जोड़ा है। इसके अलावा स्कूली बच्चे, कालेज के विद्यार्थी हों चाहे महिलाएं हों। हर वर्ग को इस मुहिम से जोड़ा है। बच्चों में इतना ज्यादा क्रेज है कि बच्चे खुद पौधे ले जाते हैं और पौधे लगा कर उनकी देखरेख तक करते हैं। स्कूलों में बच्चों को पौधे गोद दिए जाते हैं। इसलिए वे उनकी देखभाल भी अच्छी तरह से करते हैं
अध्यापक भी हैं और पर्यावरण प्रहरी भी
त्रिवेणी बाबा पेशे से सरकारी अध्यापक भी हैं और पर्यावरणी प्रहरी होने के नाते इनको त्रिवेणी बाबा के नाम से जानते हैं। गांव बिसलवास लोहारू निवासी बाबा सत्यवान का एक ही संदेश है कि कोरोना महामारी से तो प्रत्येक व्यक्ति को सबक लेना चाहिए। घर-घर और खेत-खेत हरियाली हो, कोई सरकारी और गैर सरकारी कार्यालय, संस्थान ऐसा नहीं हो जो पूरी तरह से हरे भरे न हों। आइये संकल्प लें कि पौधेे लगाएंगे और उनका संरक्षण कर पर्यावरण संरक्षण करेंगे। ऐसा करने से हम और हमारी भावी पीढ़ियां सुरक्षित रहेंगी।