नियमावली जल्द लागू न हुई तो होम आइसोलेशन पर जाएंगे एनएचएम कर्मी

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बीते वर्ष लॉकडाउन से कोरोना की मौजूदा दूसरी लहर में भी कार्मिक बगैर अवकाश ड्यूटी दे रहे हैं।

कोरोना संक्रमितों के परिजनों की सैंपलिंग हो या टीकाकरण। अथवा जनजागरूकता मुहिम। संविदा कर्मी बखूबी मानवधर्म व दायित्व निभा रहे हैं। मगर नियमितीकरण न होने से आक्रोशित कार्मिकों ने जल्द स्पष्ट सेवा नियमावली लागू न किए जाने की दशा में होम आइसोलेशन पर जाने की कड़ी चेतावनी दी है।

 अल्मोड़ा/रानीखेत सरकार की उपेक्षा से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत तैनात संविदा चिकित्सक व कार्मिकों में असंतोष खत्म होता नहीं दिख रहा। हालांकि महासंकट की दूसरी लहर में वह पूरी शिद्दत से कोविड-19 की ड्यूटी में डटे हैं। कोरोना संक्रमितों के परिजनों की सैंपलिंग हो या टीकाकरण। अथवा जनजागरूकता मुहिम। संविदा कर्मी बखूबी मानवधर्म व दायित्व निभा रहे हैं। मगर नियमितीकरण न होने से आक्रोशित कार्मिकों ने जल्द स्पष्ट सेवा नियमावली लागू न किए जाने की दशा में होम आइसोलेशन पर जाने की कड़ी चेतावनी दी है।

प्रदेश में एनएचएम के माध्यम से 4500 से ज्यादा स्टाफ विभिन्न जिलों में तैनात किया गया है। इनमें डाक्टर, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत फार्मासिस्ट व नर्स, ब्लॉक व जिला कार्यक्रम तथा अभियानों के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी आदि शामिल हैं। जनपद में 250 से अधिक चिकित्सक व कार्मिक मुस्तैद हैं। मगर अरसे से नियमित सेवा के बावजूद नियमितिकरण नहीं किया जा सका है। अधिकांश कार्मिकों को 10 से 15 वर्ष तक हो चुके हैं। एनएचएम संविदा कार्मिक संगठन की जिलाध्यक्ष डा. शिखा जोशी के मुताबिक मिशन के तहत कार्यरत स्वास्थ्य अधिकारी, नर्सेज व फार्मासिस्ट निस्वार्थ भाव सेवा में जुटे हैं। बीते वर्ष लॉकडाउन से कोरोना की मौजूदा दूसरी लहर में भी कार्मिक बगैर अवकाश ड्यूटी दे रहे हैं।

जान जोखिम में डाल संक्रमितों के घर घर जाकर परिजनों की सैंपलिंग की जा रही है। इसके बावजूद मिशन के संविदा डाक्टर व स्टाफ के लिए सरकार या शासन की ओर से स्पष्ट सेवा नियमावली लागू नहीं किए जाने से मनोबल टूट रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द कार्मिक हित में कदम न उठाया गया तो प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर संविदा स्वास्थ्य अधिकारी व स्टाफ होम आइसोलेशन पर जाने को विवश होगा। उधर सोमेश्वर, द्वाराहाट, ताड़ीखेत आदि विकासखंडों में तैनात एनएचएम कर्मियों में भी उपेक्षा से आक्रोश बढ़ रहा है।

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