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सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा रद्द होने से टॉपरों को मलाल।
सीबीएसई और सीआइएससीई ने वर्ष 2021 की बोर्ड परीक्षा रद कर दी है। जल्द रिजल्ट तैयार करने की स्कीम भी जारी होगी। कुछ छात्र कमजोर तैयारी और पढ़ाई से पीछा छूटने से खुश हैं तो बेहतर तैयारी के साथ सवरेत्तम प्रदर्शन की उम्मीद लगाए बैठे छात्र इससे नाखुश हैं। मेरठ। सीबीएसई और सीआइएससीई ने वर्ष 2021 की बोर्ड परीक्षा रद कर दी है। जल्द रिजल्ट तैयार करने की स्कीम भी जारी होगी। बोर्ड के इस निर्णय से छात्र-छात्रओं में कहीं खुशी, कहीं गम जैसा माहौल बना दिया है। कुछ छात्र कमजोर तैयारी और पढ़ाई से पीछा छूटने से खुश हैं, तो बेहतर तैयारी के साथ सवरेत्तम प्रदर्शन की उम्मीद लगाए बैठे छात्र इससे नाखुश हैं। साथ ही अपने स्कूल से टापर निकालने के लिए छात्रों को कड़ी मेहनत कराने वाले स्कूल भी बोर्ड परीक्षा रद होने से अधिक खुश नहीं हैं। स्कूलों को अभिभावकों से भी ऐसी ही प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। हालांकि हर वर्ग महामारी में इस निर्णय को सही मान रहे हैं।
14 हजार को राहत, 42 हजार को इंतजार : 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं पहले ही रद किए जाने से मेरठ के करीब 60 हजार छात्र-छात्रओं को पहले ही बोर्ड परीक्षा से राहत मिल चुकी है। इनमें यूपी बोर्ड के 45,153, सीबीएसई के करीब 14 हजार और आइसीएसई के करीब 1200 छात्र पहले ही बोर्ड परीक्षा की चिंता से मुक्त हो चुके हैं। अब 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद होने से सीबीएसई के 12,073 व आइएससी के करीब आठ सौ छात्र-छात्रओं को बोर्ड परीक्षा से निजात मिल चुकी है। वहीं यूपी बोर्ड की ओर से ऐसे ही निर्णय का इंतजार 42,591 छात्र-छात्रएं कर रहे हैं।
जेपी एकेडमी के छात्र मान्या जोशी ने कहा- स्वास्थ्य के लिहाज से निर्णय सही है, लेकिन मार्च में यह परीक्षा हो जाती तो दो-तीन महीने के अतिरिक्त तनाव से बच जाते। परीक्षा रद होने से खुशी और गम दोनों ही हैं। खुशी इसलिए क्योंकि बार-बार पीछे होने से तैयारी कमजोर पड़ती जा रही थी तो अच्छे अंक ला पाना मुश्किल होता। दुख इस बात का है कि कोई हमें किस्मत से पास होने वाला न बुलाए।
एमआइईटी पब्लिक स्कूल की 12वीं के छात्र अमन धामा ने कहा- सुरक्षा को लेकर निर्णय सही है, लेकिन रिजल्ट कैसे तैयार होगा और हमारे कितने अंक आएंगे यह देखने के बाद ही पता चलेगा कि हमारे लिए निर्णय ठीक रहा या खराब। पिछले तीन साल का रिजल्ट लेंगे तो खराब रहेगा। 12वीं के ही पूरे साल के असेस्मेंट के अंक के आधार पर रिजल्ट तैयार करना चाहिए। तभी हमारे रिजल्ट ठीक रहेंगे।
बीडीएस इंटरनेशनल स्कूल की 12वीं के छात्र कुश गोयल ने कहा- बोर्ड परीक्षा रद होने से बहुत बुरा लग रहा है। जो तैयारी की वह सब बेकार हो गई। प्री-बोर्ड में बोर्ड परीक्षा जैसी तैयारी नहीं होती है। प्री-बोर्ड तो हम लोग अपनी तैयारी को परखने के लिए ही देने जाते हैं। उसके बाद अच्छी तैयारी शुरू होती है जिससे प्री-बोर्ड से बोर्ड में हमारे रिजल्ट अच्छे होते हैं। अब प्री-बोर्ड के आधार पर रिजल्ट बनाने से हमारी मेहनत का परिणाम नहीं होगा।
सेंट मेरीज एकेडमी की 12वीं के छात्र स्वप्निल घोष ने कहा- परीक्षा रद होने से बड़ी राहत मिली है। अब मैं अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी ठीक से कर सकता हूं। इस निर्णय से लंबे इंतजार से पर्दा उठ गया। यह अंक हमारे कालेज में प्रवेश के लिए बेहद जरूरी है इसलिए अंक कैसे मिलेंगे, यह देखने को इंतजार है।
सेंट मेरीज एकेडमी की छात्रा साक्षी सिंह ने कहा- बोर्ड परीक्षा रद होने से मेरे और परिवार के लिए राहत भरी खबर है। पूरे परिवार की सुरक्षा की चिंता बनी रहती अगर परीक्षा देने जाना पड़ता तो। साथ ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों के लिए भी रुकावट हो बनती।
शशांक भाटी ने कहा- मैं परीक्षा की तैयारी में जुटा था। परीक्षा रद होने की कतई उम्मीद नहीं थी। अब बोर्ड परीक्षा रद हो ही गई है तो यह पढ़ाई छोड़कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करेंगे और जो बेहतर होगा वहां आगे निकल सकेगा।
मिताली गांधी ने कहा- कोविड से बहुत से छात्र और उनके स्वजन संक्रमित हुए हैं। परीक्षा रद होने से और लोग संक्रमित होने से बच गए लेकिन हमें मार्किंग स्कीम को लेकर चिंता है। मेरे जैसे कुछ छात्रों ने बहुत मेहनत की थी और अपना लक्ष्य बड़ा निर्धारित किया था।
यह कहना है गुरुजनों का
सीबीएसई एक्स एग्जाम कंट्रोलर पवनेश कुमार ने कहा- इस निर्णय से शैक्षिक दुष्प्रभाव तो पड़ेगा, लेकिन वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए यह विकल्प ठीक ही है। करोड़ों की संख्या में बच्चे हैं देशभर में। उनकी सुरक्षा व स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना जरूरी था। स्वस्थ रहेंगे तो आगे कड़ी मेहनत कर सकेंगे। अब अन्य बोर्ड को भी यही निर्णय लेना चाहिए।
दीवान पब्लिक स्कूल निदेशक एचएम राउत ने कहा- इस निर्णय को स्वीकारने में लोगों को समय लगेगा। लेकिन बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए यह जरूरी था। अब चुनौती उच्च शिक्षा विभाग की होगी कि वह किस तरह सभी उत्तीर्ण बच्चों को आगे शिक्षा ग्रहण करने में सहूलियत प्रदान करेंगे। इस बार स्कूलों और बच्चों को टापर नहीं बन पाने का दुख भी होगा।
सोफिया गल्र्स स्कूल के प्रिंसिपल सिस्टर गेल ने कहा- बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया यह निर्णय सही है। लेकिन मुङो उन बच्चों के लिए भी दुख है जो दिन-रात कड़ी मेहनत और जोश से पढ़ाई कर रहे थे और अपने करियर की प्रतिस्पर्धा में आगे रहना चाहते थे।
सीबीएसई सिटी कोआर्डिनेटर सुधांशु शेखर ने कहा- यह निर्णय बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से ठीक है, लेकिन इससे बच्चे, अभिभावक व शिक्षक सभी आहत हैं। परीक्षा पीछे होने से उम्मीद बंधी थी, जो टूट गई। अभिभावकों ने मार्च के बाद बच्चों को पढ़ाई से किस तरह जोड़े रखा, यह उनके लिए चुनौतीपूर्ण था। इस परीक्षा में रिजल्ट जो भी आए, लेकिन बच्चों को अपना बेस्ट न दे पाने का हमेशा मलाल रहेगा।
सेंट मेरीज एकेडमी के प्रिंसिपल ब्रदर एडवर्ड सेबेस्टियन ने कहा- वर्तमान परिस्थिति में यह सही निर्णय ही लग रहा है। जीवन हर चीज से कहीं ज्यादा बहुमूल्य है। छात्र-छात्रएं अपने ज्ञान और लक्ष्य के अनुरूप आगे बेहतरीन प्रदर्शन कर सकेंगे।
मेरठ स्कूल सहोदय काम्प्लेक्स के सचिव राहुल केसरवानी ने कहा- निर्णय को अच्छा-बुरा नहीं कह सकते। सीबीएसई को पूरे देश की परिस्थिति को देखते हुए निर्णय लेना था, जो अपेक्षित भी था। अच्छे बच्चों को नुकसान होगा और कम अच्छे बच्चों को लाभ मिलेगा। अब एक-डेढ़ महीने में रिजल्ट जारी होने की उम्मीद है, जिससे बच्चों का अगला सत्र समय से हो सके। जिन बच्चों ने कोई टेस्ट या एग्जाम नहीं दिए, उनका रिजल्ट कैसे तैयार होगा, यह देखने वाली बात होगी।
सेंट थामस इंग्लिश मीडियम स्कूल के प्रिंसिपल ए. डीन ने कहा- मेरे ख्याल में बच्चों को प्रमुख पेपर की परीक्षा में शामिल किया जाना चाहिए था। इससे उनमें परीक्षा देने का स्वभाव बना रहता। बिना परीक्षा पास हो जाना उन्हें मानसिक सुकून नहीं देगा।