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यूपी बोर्ड की परीक्षा रद होने पर छात्रों को यह मिलेगा मौका।
वर्ष 2021 की बोर्ड परीक्षाओं के रद होने का सिलसिला शुरू हो चुका है। यूपी बोर्ड में सर्वाधिक छात्र-छात्राएं बोर्ड परीक्षा में शामिल होते हैं। उन्हें भी बोर्ड परीक्षा पर निर्णय का इंतजार है। संभावना जताई जा रही है कि यूपी बोर्ड परीक्षा भी रद हो सकती है।
मेरठ, वर्ष 2021 की बोर्ड परीक्षाओं के रद होने का सिलसिला शुरू हो चुका है। यूपी बोर्ड में सर्वाधिक छात्र-छात्रएं बोर्ड परीक्षा में शामिल होते हैं। उन्हें भी बोर्ड परीक्षा पर निर्णय का इंतजार है। हालांकि स्कूल व परीक्षार्थी मानने लगे हैं कि केंद्र सरकार ने जब बोर्ड परीक्षा रद कर दी है तो प्रदेश सरकार भी परीक्षा रद करेगी। ऐसे में मेधावी बच्चे और स्कूल भी चिंतित हैं। यह अपेक्षा की जा रही है कि यदि बोर्ड परीक्षा रद कर आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर रिजल्ट तैयार किए जाएं तो आगे चलकर छात्रों को इंप्रूवमेंट देने का अवसर प्रदान किया जाए। यूपी बोर्ड में अब की व्यवस्था में 12वीं के छात्रों को कंपार्टमेंट देने का अवसर तो मिलता है लेकिन सीबीएसई की तरह इंप्रूवमेंट परीक्षा देने का मौका नहीं मिलता है।
डीएन इंटर कालेज के कक्षा 12वीं ऋषभ गोयल ने कहा- मैंने पीसीएम लेकर अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई की है। बोर्ड परीक्षा होनी ही चाहिए। नहीं हुई तो जो भी रिजल्ट आएगा वह हम पर थोपने जैसा है। 12वीं के बाद हमें आइआइटी, जेईई की तैयारी करनी है। बिना परीक्षा आगे बढ़ने से तैयारी प्रभावित होगी। प्रतिस्पर्धा अब इतनी बढ़ गई है। जितनी मेहनत की वह बेकार हो जाएगा। हमें इंप्रूवमेंट का मौका नहीं मिला तो यही रिजल्ट मजबूरी में जीवन भर के लिए अपना लेना होगा।
एसएसडी ब्वायज इंटर कालेज के प्रिंसिपल बिशन पाल सिंह ने कहा- परीक्षा हो तो 15 जून से हो जानी चाहिए नहीं तो बहुत देर हो जाएगी। वर्तमान परिस्थिति में रद होने की उम्मीद ही ज्यादा है जो बच्चों के करियर के लिए पूरी तरह से ठीक नहीं है। फरवरी में ही बोर्ड परीक्षा होती थी। बच्चों ने चार महीने अधिक पढ़ाई की। इसका उन्हें कोई लाभ नहीं मिलेगा। मेरिट में स्थान बनाने की इच्छा रखने वाले बच्चों को दुख होगा।
केके इंटर कालेज के प्रिंसिपल डा. वीर बहादुर सिंह ने कहा- सुरक्षा के लिहाज से यदि 12वीं की बोर्ड परीक्षा भी रद होती है तो कक्षा छह से 12वीं तक के सभी बच्चे बिना परीक्षा ही पास होकर अगली कक्षा में चले जाएंगे। इससे जहां उच्च शिक्षा पर दबाव बढ़ेगा वहीं मेधावी बच्चों के साथ पूरा न्याय नहीं हो सकेगा। उन्हें स्वयं को साबित करने का मौका तो मिलना ही चाहिए।
देवनागरी इंटर कालेज के प्रिंसिपल सुशील सिंह ने कहा- थोड़ा बहुत बदलाव कर बोर्ड परीक्षा होनी चाहिए। लेकिन अब लगता है कि केंद्र सरकार का निर्णय ही प्रदेश में भी माना जाएगा। एवरेज मार्किंग में होनहार बच्चों को नुकसान होता है। यूपी बोर्ड के बच्चे केवल बोर्ड परीक्षा पर ही केंद्रित पढ़ाई करते हैं। छमाही पर ध्यान भी नहीं देते। उस पर अंक मिले तो कम मिलेंगे।