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99 फीसद प्लांट इकाईयों के पास नहीं है भारतीय मानक ब्यूरो का प्रमाण पत्र।
फीसद प्लांट इकाईयों के पास नहीं है भारतीय मानक ब्यूरो का प्रमाण पत्र। नगर निगम क्षेत्र में आरओ प्लांट लगे हैं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) से मात्र 15 प्लांट को ही अनुमति है जबकि यहां करीब एक हजार प्लांट बिना लाईसेंस संचालित
आगरा,मोहब्बत की निशानी आगरा का ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इसी शहर के पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। हालांकि पेयजल आपूर्ति करने वाली इकाईयां दावे के साथ कहती है कि उनका पानी शत-प्रतिशत शुद्ध है, इसके विपरीत हकीकत यह है कि यहां सबसे ज्यादा आरओ वॉटर प्योरिफायर ही बिक रहे हैं। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ( एफएसएसएआई) ने एक अप्रैल से पैकेटबंद पानी और मिनरल वॉटर विनिर्माताओं के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) का प्रमाणन अनिवार्य कर दिया है, लेकिन आगरा में 99 फीसद आरओ इकाईयों के पास यह प्रमाण पत्र नही है।
नगर निगम क्षेत्र में आरओ प्लांट लगे हैं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) से मात्र 15 प्लांट को ही अनुमति है, जबकि यहां करीब एक हजार प्लांट बिना लाईसेंस संचालित हो रहे है। गर्मी में आरओ वाटर के नाम पर शहर में करोड़ों का करोबार हो रहा है। दुकानों, ऑफिसेस और घरों में आपूर्ति होने वाले इस पानी को लोग सेहतमंद समझकर पी रहे हैं, लेकिन शायद उन्हें पता नहीं कि आरओ वाटर के नाम पर सिर्फ नल का पानी ही ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। इसकी शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है।
पानी के धंधे की आड़ में काले कारोबारी वाटर कैन की बिक्री के रेट भी स्वयं तय कर लेते हैं। कंपनियों में रेट अलग और घरों में अलग रेट पर पानी आपूर्ति किया जा रहा है। एक वाटर कैन में 15- 20 लीटर तक पानी आता है और यह 15 से 30 रुपए तक मार्केट में बेचा जा रहा है। कुछ लोग छोटे-छोटे दुकानदारों तक 15-20 रुपये में 15 लीटर के वाटर कूलर में पानी की आपूर्त
आपूर्ति किए जा रहे पानी में टीडीएस की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है। जो शरीर के लिए काफी हार्मफुल है। पानी के प्योरिफिकेशन के दौरान कार्बनिक और अकार्बनिक तत्व शरीर की जरूरत के मुताबिक कम दिए जाते हैं। पानी में मैग्निशियम, कैल्शियम, पोटेशियम की एक निश्चित मात्रा स्वास्थ्य के लिए जरूरी होती है। इसकी जांच टीडीएस (टोटल डिसॉल्वड सॉलिड्स) के जरिए की जाती है। वाटर कैन में आपूर्ति किए जाने वाली पानी के सप्लाई में टीडीएस की मात्रा 300 पीपीएम तक होती है, जो शरीर के लिए खतरनाक है।
ब्रांड के नाम पर डुप्लिकेट पानी की आपूर्ति
गर्मी में मिनरल वाटर की खपत बढ़ने से अवैध प्लांट के व्यापारी ब्रांड के नाम पर डुप्लिकेट पानी की आपूर्ति कर रहे हैं। कैंट, सिकंदरा, रुककता, ईदगाह, नामनेर, राजा की मंडी व ईदगाह रेलवे स्टेशन और बस अड्डा समेत शहर में कई ऐसे व्यस्ततम इलाके हैं, जहां बड़े पैमाने पर ब्रांडेड मिनरल वाटर से मिलते-जुलते नाम की पानी की बोतलें महंगे दाम में बिक रही हैं। इससे दुकानदार से लेकर प्लांट संचालक तक मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
क्य है आर ओ सिस्टम
रसायन शास्त्रियों के अनुसार आर ओ सिस्टम के माध्यम से साधारण पानी को शुद्ध बनाया जाता हैं। वह पानी से हानिकारक तत्व आर्सेनिक फ्लोराइड, क्लोरीन, लेड को अलग करता हैं, लेकिन उसके बाद भी यह तत्व कुछ मात्रा में शेष रह जाते हैं। यह सिस्टम पानी को पांच चरणों में साफ करता हैं। और उसे गंदगी, धूल, बैक्टेरिया आदि से मुक्त कर शुद्ध व मीठा बनाता हैं।
ये होना जरूरी मिनरल वाटर में
- फ्लोराइड 0.5 से 1.5 मिलीग्राम
- घुलनशील लवण 500 से 1500 मिग्रा
- नाइट्रेट 0 से 45 मिलीग्राम
- क्लोराइड 10 से 500 मिलीग्राम
- पीएचपीए 6.5 से 8.5 मिलीग्राम
(डब्ल्यूएचओ के तैयार किए गए मापदंड के अनुसार)
ये है टीडीएस
पानी में घुली हुई सभी चीजों को टीडीएस (टोटल डिसॉल्व्ड सॉलिड्स) कहते हैं। इसमें सॉल्ट, कैल्शियम, मैग्निशियम, पोटैशियम, सोडियम, कार्बोनेट्स, क्लोराइड्स आदि आते हैं। ड्रिंकिंग वॉटर को मापने के लिए टीडीएस पीएच और हार्डनेस लेवल देखा जाता है। बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) के मुताबिक, मानव शरीर अधिकतम 500 पीपीएम (पार्ट्स प्रति मिलियन) टीडीएस सहन कर सकता है। अगर यह लेवल 1000 पीपीएम हो जाता है तो शरीर के लिए नुकसानदेह हैं। लेकिन फिलहाल आरओ से फिल्टर्ड पानी में 18 से 25 पीपीएम टीडीएस मिल रहा है जो काफी कम है। इसे ठीक नहीं माना जा सकता। इससे शरीर में कई तरह के मिनरल नहीं मिल पाते। यहां एक सवाल और है कि हमारे घरों में जो पीने के पानी की सप्लाई सरकारी एजेंसियां करती हैं, उनकी कितनी जांच होती है?
ये है मानक
50-150 पीपीएम-सबसे अच्छा पानी
150-200पीपीएम--- अच्छा
200-300 पीपीएम--स्वच्छ
300-500 पीपीएम-- खराब व नुकसानदायक
ये बोले डाक्टर
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. जेएन टंडन ने कहा कि सभी तरह के आरओ का पानी शुद्ध नहीं है। बाजार में बड़े कैन में बिकने वाले पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। इसके शुद्धता की जांच भी नहीं होती है। प्लांट पर साफ-सफाई का इंतजाम नहीं होता। इस पानी से बेहतर है कि पानी का उबाल कर पिया जाए।
इड, क्लोरीन के साथ-साथ मैग्निशियम, कैल्शियम और सोडियम जैसे तत्व पानी में जरूरी होते हैं। इसलिए टीडीएस की जांच जरूरी होती है। इससे पानी की शुद्धता का पता चलता है।
रजिस्टर्ड पैक्ड मिनरल वाटर की समय-समय पर जांच की जाती है। अन्य से विभाग का कोई मतलब नहीं है।