हंसते हुए बच्चों के चेहरों पर डर और दहशत देखकर होते हैं आनंदित, जानिए कौन हैं ये लोग

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RGA news

आज है बाल यातना एवं अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस।

 आज है बाल यातना एवं अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस। परिचित ही कर रहे बच्चों का मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न। यातनाएं देने वालाें की धमकी और डर के चलते नहीं देते अपनों को जानकारी।

आगरा, केस एक: ग्वालियर के रहने वाले दस साल के एक बालक को कुछ लोग बहला फुसलाकर रेलवे स्टेशन पर लेकर आए थे। यहां पर उससे जबरन भीख मंगवाई जाती थी। भीख न मांगने पर बालक को यातनाएं दी जाती थीं। उसके हाथों को जला दिया गया था। बालक गिराेह के चंगुल से भाग निकला था। आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचा था। वहां उसे रेलवे पुलिस ने भटकता देख आश्रय गृह भेज दिया। बालक ने काउंसिलिंग के दौरान अपने साथ होने वाले अत्याचार की जानकारी दी। सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने पुलिस के साथ मिलकर बालक को घर भेजने की व्यवस्था कराई। मगर, बालक को भीख मांगने के लिए मजबूर करने वालों का पता नहीं लगाया जा सका।

केस दो: शहर के एक थाना क्षेत्र में रहने वाली बालिका के माता-पिता की मौत हो चुकी है। वह अपने चाचा-चाची के साथ रहती है। घर के सामने रहने वाला युवक उसे कई महीने से परेशान कर रहा था। इससे बालिका मानसिक तनाव में आ गई। वह अपने ही घर में डरी और सहमी रहने लगी। इससे आरोपित का दुस्साहस बढ़ता गया, बालिका को दहशत में देखकर वह आनंदित होता। बालिका की हालत देख उसकी एक सहेली ने चाइल्ड हेल्प लाइन की मदद ली। चाइल्ड लाइन द्वारा बालिका की मदद की गई। उससे और स्वजन से बातचीत करके पूरे मामले की जानकारी दी। इसके बाद बालिका को डर से मुक्ति मिल सकी।

बच्चे ईश्वर का रूप होते हैं। उनके साथ कुछ समय बिताकर लोग अपना गुस्सा भूल जाते हैं। उनके साथ लाड़ जता और खेलकर तनाव मुक्त हो जाते हैं। मगर, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उनके चेहरे पर डर और दहशत देखकर सुकून महसूस करते हैं। बच्चो को यातना देकर खुद काे आनंदित महसूस करते हैं। दरसअल ऐसे लोग मनोरोगी होती हैं। इस मनोरोग को पीडोफीलिया नाम से जाना जाता है। ऐसे लोग कहीं भी किसी भी बस्ती में मिल सकते हैं।

बच्चों विशेषकर बालिकाओं को परेशान और छेड़छाड़ करने की शिकायतें आगरा चाइल्ड हेल्पलाइन पर भी आती हैं। चाइल्ड लाइन को ऐसे मामलों में बच्चों के साथ उनके अभिभावकों की भी काउंसिलिंग करनी पड़ती है। अधिकांश मामलों में अभिभावक समाज में बदनामी के डर से पुलिस में शिकायत नहीं करते हैं। वह बच्चों को लेकर किसी भी तरह के कानूनी पचड़े और मुकदमेबाजी से बचने की कोशिश करते हैं।।

क्या कहतें हैं मनोचिकित्सक

मनोचिकित्सक यूसी गर्ग कहते हैं पीडोफीलिया से पीड़ित मनोरोगी से बच्चों को बचाने के लिए अभिभावकों को ही सूझबूझ दिखानी होगी। इसके लिए वह अभिभावकों को कुछ सलाह भी देते हैं, जो निम्न हैं

-अभिभावकों को अपने बच्चों को यह बात समझानी चाहिए कि यदि कोई परिचित या अजनबी उन्हें खाने-पीने की चीज या उपहार देते हैं, उन्हें मना करना सिखाएं। इससे बच्चा किसी के लालच में नहीं आएगा। अधिकांश मामलों में यह देखने में आता है कि इस तरह के लोग पहले बच्चों को लालच देकर अपने जाल में फंसाते हैं। उनका विश्वास जीतते हैं, इसके बाद उनका शारीरिक शोषण करते है

-अभिभावकों को यह भी सिखाना चाहिए कि यदि कोई उनके साथ कोई गलत हरकत करता है, बुरी नजर से देखता है तो वह इसकी जानकारी उन्हें जरूर दें। इसके लिए अभिभावकों को बच्चों को अपने विश्वास में लेना चाहिए। इससे कि वह उनसे कोई भी बात बताते हुए डरने की जगह तनाव मुक्त महसूस करें।

-अधिकांश मामलों देखा जाता है कि इस तरह के मनोरोगी किसी न किसी तरह के नशे का आदी होते हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वह किसी भी तरह के नशे के आदी लोगोंं से अपने बच्चों काे दूर रखें। 

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