बीआइसी ने जारी किया नोटिस, अब सेवानिवृत्त और कब्जेदारों से खाली कराएगी संपत्ति

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बीआइसी के आवासीय परिसर में कब्जा ।

बीआइसी के सिविल लाइंस के बंगलों मैकराबर्टगंज कालोनी में कई अफसर और कर्मी रह रहे हैं। नोटिस जारी करने के बाद कोरोना की वजह से अभियान धीमे पड़ गया था। अब फिर से संपत्ति खाली कराने पर जोर दिया जा रहा है।

कानपुर, बीआइसी अपने सेवानिवृत्त अधिकारियों व कर्मचारियों समेत जो भी अवैध कब्जेदार हैं, उनसे अपनी संपत्ति को खाली कराएगा। ये लोग सिविल लाइंस के करीब एक दर्जन बंगलों और मैकराबर्टगंज कालोनी में बने मकानों में रहे हैं। बीआइसी इन्हें नोटिस दे चुका है। सेवानिवृत्त अधिकारियों व कर्मचारियों से कहा गया है कि अगर उन्होंने आवास व बंगले खाली नहीं किए तो उनके ड्यूज से कटौती कर ली जाएगी।

कभी बीआइसी में हजारों अधिकारी व कर्मचारी कार्य करते थे लेकिन इस समय इनकी संख्या कानपुर में मात्र सात सौ के करीब रह गई है लेकिन जो लोग सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उनके देय अभी तक कंपनी ने नहीं चुकाए हैं, इसलिए जो अधिकारी व कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के बाद भी सिविल लाइंस के बंगलों और मैकराबर्टगंज की कालोनी में रह रहे हैं, बीआइसी अब उनसे इन्हें खाली कराना चाह रहा है। बीआइसी ने इन्हें खाली कराने के लिए तीन कैटेगरी में मकानों को बांटा है। इसमें पहला वर्ग वह है जो सेवानिवृत्त अधिकारी या कर्मचारी हैं और उन्हें ग्रेच्युटी नहीं मिली है और पूरी रकम ना मिलने की वजह से वह भी बीआइसी का बंगला या मकान नहीं छोड़ रहे हैं।

दूसरे वे लोग हैं जिनका बीआइसी से कोई मतलब नहीं है लेकिन वे बीआइसी के मकानों में कब्जे किए हुए हैं। इनमें बहुत से ऐसे हैं जिन्होंने खाली मकान देखकर कब्जा कर लिया है और कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें पुराने कर्मचारी जाते-जाते कब्जा देकर चले गए। एक वर्ग ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों का है जो एक मकान में तो रह रहे हैं और दूसरे मकान पर उन्होंने कब्जा कर रखा है। बीआइसी ने इन सभी को नोटिस दे दिया है कि वे खाली नहीं करेंगे तो उनसे स्टैंडर्ड किराया लिया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि कोरोना के चलते इस प्रक्रिया को रोक दिया गया था। अब कोरोना की रफ्तार कम हुई है तो इस पर कार्य शुरू किया जाएगा।

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