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RGA news
कुछ दिन पहले ही इन विग्रहों को कारसेवकपुरम की यज्ञशाला में फाउंडेशन बनाकर प्रतिष्ठित गया था।
अयोध्या में मुख्य यजमान श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय व कारसेवकपुरम के प्रभारी शिवदास रहे। इस दौरान भगवान से वर्षों तक तक पूजन अर्चन न किए जाने के लिए क्षमा प्रार्थना की गई। यह क्रम अनुष्ठान में नित्य चले
अयोध्या, रामजन्मभूमि परिसर के अधिग्रहण में कई मंदिरों के जिन देव विग्रहों को संरक्षित किया गया था, उनका 28 वर्ष बाद दोबारा पूजन अर्चन शुरू हो गया। ये विग्रह गत दिनों कारसेवकपुरम की यज्ञशाला में प्रतिष्ठित किए गए थे, जिनका वैदिक रीति व विधि विधान से पूजन अर्चन शुरू हुआ। शुक्रवार को सात दिनी क्षमा प्रार्थना अनुष्ठान प्रारंभ हुआ, जो सात दिन तक चलेगा। पहले दिन गणेश पूजन व नवग्रह को समर्पित हवन किया गया।
मुख्य यजमान श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय व कारसेवकपुरम के प्रभारी शिवदास रहे। इस दौरान भगवान से वर्षों तक तक पूजन अर्चन न किए जाने के लिए क्षमा प्रार्थना की गई। यह क्रम अनुष्ठान में नित्य चलेगा। विष्णुसहस्त्रनाम, हनुमान व राम सहस्त्रनाम का पारायण और हवन होगा। आचार्य नारद भटराई, इंद्रदेव मिश्रा व दुर्गा प्रसाद गौतम अनुष्ठान संपादित करा रहे हैं। पहले दिन वीरेंद्र, राधे, फूलकांत व एसएन अग्रवाल ने आहुतियां डालीं।
कुछ दिन पहले ही इन विग्रहों को कारसेवकपुरम की यज्ञशाला में फाउंडेशन बनाकर प्रतिष्ठित गया था। अब नियमित पूजन के साथ ही लोग इनका दर्शन भी कर सकेंगे। इनमें भगवान राम व भगवान शिव परिवार के सदस्यों के विग्रह हैं। भगवान राम के परिवार में मां जानकी, भगवान राम, लक्ष्मण व हनुमानजी तो भगवान शिव के परिवार में मां पार्वती के अलावा भगवान गणेश, नंदी, शिवलिंग हैं। ये प्रतिमाएं सीता रसोई, आनंद भवन, मानस भवन आदि मंदिरों की हैं, जिन्हें पहले मानस भवन में रखा गया था। दो दर्जन मंदिर अधिग्रहण की जद में आ गए थे। इनका अस्तित्व तो मिट गया पर मंदिरों में स्थापित देव प्रतिमाओं को मानस भवन मंदिर में संरक्षित रखा गया था। ये प्रतिमाएं पाषाण से निर्मित ऊंची व आकर्षक हैं।