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जिले में कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा।
जिले में कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा। इसमें 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को ज्यादा से ज्यादा टीके लगाने की कवायद है। लोगों में टीकाकरण को लेकर उत्साह है मगर कुछ लोग अभी भी कोविड टीके को लेकर भ्रमित हैं।
अलीगढ़ जिले में कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा। इसमें 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को ज्यादा से ज्यादा टीके लगाने की कवायद है। लोगों में टीकाकरण को लेकर उत्साह है, मगर कुछ लोग अभी भी कोविड टीके को लेकर भ्रमित हैं। इंटरनेट मीडिया पर भी भ्रमित करने वाली सामग्री की भरमार है। खासतौर से गर्भवतियों, बीमार व बुजुर्गों के टीकाकरण को लेकर। इससे काफी लोग टीका लगवाएं या नहीं, इसी उलझन में हैं। विशेषज्ञों के अनुसार थोड़ी सावधानी बरतकर व सलाह लेने के बाद कोई भी टीका लगवा सकता है।
धात्री माताएं भी ले सकती हैं टीका:
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. दुर्गेश कुमार ने बताया स्तनपान कराने वाली यानी धात्री माताओं को कोविड टीकाकरण कराने को लेकर कई तरह की बातें की जा रही थीं। इंटरनेट मीडिया पर कोविड का टीका लगवाने वाली गर्भवतियों के लिए टीकाकरण घातक बताया जा रहा है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हैं। अन्य कोई गंभीर बीमारी न होने की दशा में टीकाकरण कराया जा सकता है
गंभीर रूप से बीमार लोग चार से आठ सप्ताह बाद टीका
कोविड संक्रमित रोगियों को यदि एंटी सार्स टू मोनोक्लोनल एंटीबाडी दिया गया है, तो ऐसे लोग अस्पताल से निकलने के तीन माह बाद टीका ले सकते हैं। साथ ही वैसे सभी लोग जो बीमार हैं। जिन्हें अस्पताल या आइसीयू देखभाल की जरूरत है, उन्हें कोविड का टीका चार से आठ सप्ताह बाद तक लगाया जा सकता है। डा. दुर्गेश के अनुसार टीबी, शुगर, ब्लड प्रेशर, कैंसर समेत अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीज अपने डाक्टर की सलाह लें कि कब टीकाकरण कराना सुरक्षित रहेगा। यदि शुगर कंट्रोल में है तो मरीज बेझिझक टीका लगवा सकता है। टीकाकरण के बाद सावधानी बरतनी है। जब तक एक भी मरीज है, मास्क का इस्तेमाल, शारीरिक दूरी के नियम का पालन व हाथों की बार-बार सफाई जरूरी है। कोरोना को खत्म करने के लिए एक-एक व्यक्ति को टीका लगवाना होगा।